- मां ने कहा, मेरा बेटा बेकसूर निकला, तो क्या वो आज जाएगा

- मां-पिता के दर्द का मिला हिसाब, सिर्फ एक को मिली फांसी पर चिंता

PATNA : 12 साल हर पल आंसू के सहारे गुजरने वाली आंखें और बेटे के लिए तड़पते दिल को सुकून मिला है। बेटे के हत्यारों को सजा मिली है। सिविल कोर्ट ने एक को फांसी और सात को मरने तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। दिल की धड़कन अभी और भी बढ़ गयी है, क्योंकि अचानक से आंखों के सामने बेटे की तस्वीर सामने आ गई। वो कहीं से भी हंसते हुए मुस्कुराते हुए आता और अपनी फ्चूचर की प्लानिंग बताने लगता था। पिता का कहना है कि इस उम्र में जब बेटे की जरूरत होती है, उस उम्र के बेटे के हत्यारों को मिली सजा अधूरी ही रह गयी है। क्योंकि इसे लागू करने में लंबा वक्त लग गया है। खैर, जो भी हो अपराधियों को सजा आर उम्र कैद मिल जाने के बाद राहत की सांस तो जरूर लूंगा। वहीं, अपने बेटे की तस्वीर के सामने आंखें पसीज चुकी मां ने कहा कि अब हत्यारों को पता चलेगा कि घर से दूर होने का तड़प क्या है।

पहले दवाई देते थे, अब मिठाई बांटेंगे

आशियाना चौराहे के मनभावन स्वीट्स की जगह पर कभी मेडिकल स्टोर हुआ करता था। बेटे की मौत और फैमिली प्रेशर को देखते हुए विकास रंजन के पिता जगदीश गुप्ता ने कहा कि पहले दवा की दुकान चलाया करता था, लेकिन अब मनभावन स्वीट्स बेचा करता हूं। आज तो थोड़ा रेट भी कम करके दूंगा, क्योंकि बेटे को बेकसूर मानते हुए आरोपियों को सजा सुनायी गयी है। मेरा मानना है कि तमाम अपराधी को सही सजा मिली है। इससे खुशी मिली है, लेकिन अब जब कि 12 साल बीत गया है। इतनी लेट न्याय प्रक्रिया ने पूरे घर-परिवार को इसमें रहने पर मजबूर कर दिया है। 12 साल पहले की घटना आजकल की लगती है।

उस बेटे के मां-बाप की जुबानी

28 दिसंबर 2002 शाम में चार बजे के करीब प्रशांत अपने फ्रेंड हिमांशु के साथ विकास रंजन को लेकर आशियाना चौराहा से अंदर सम्मेलन मार्केट की ओर निकल गया था। तीनों दोस्त अपने राजीव नगर के एक फ्रेंड को भी बुलाने का प्लान किया, ताकि चारों एक साथ बैठकर गपशप मार पाएं, क्योंकि चार में से दो की नौकरी पक्की हो गई थी और दोनों जल्द ही जाने वाले थे। तीनों सम्मेलन मार्केट के बूथ पर पहुंचा और फोन लगाया। फोन तो नहीं लगा ,लेकिन बिल निकल आया। दो रुपए बिल देखकर तीनों दोस्त बिफर गए और बूथ चलाने वालों से बकझक शुरू हो गया। इस दौरान दुकानदारों ने शास्त्रीनगर पुलिस को भी फोन करके बुला लिया गया। आसपास के दुकानदारों ने तीनों बच्चों को मारते-मारते बेसुध कर दिया गया था, फिर तीनों पर एक के बाद एक आठ गोली दागी गयी और उसे डकैत बनाकर मामला दर्ज किया गया। गोली शास्त्रीनगर पुलिस की ओर से दारोगा शमशे आलम, सिपाही अरुण ने भी दागी थी, वहीं तीनों दोस्तों को बूथ संचालक से लेकर आसपास के शॉप कीपर ने मारकर बेसुध कर दिया था।

बूथ संचालक से लेकर दारोगा तक पर अपराध साबित

सम्मेलन मार्केट फर्जी एनकाउंटर में आठ लोगों को सुनायी गयी है। इसमें शास्त्रीनगर थाना का दारोगा शमशे आलम, सिपाही अरुण, शॉपकीपर कमलेश गौतम, राकेश मिश्रा, सोनी रजक, कुमुद रंजन सहित दो अन्य जिसमें कमलेश गौतम का साला और एक को सजा सुनायी गयी है। ये तमाम लोग सम्मेलन मार्केट में शॉपकीपर थे और पुलिस के वे लोग शामिल थे, जिसने घटना को अंजाम दिया। इस घटना के बाद से शमशे आलम जेल में ही है।

At a galance

- सम्मेलन मार्केट में हुआ था फर्जी एनकाउंटर।

- ख्8 दिसंबर ख्00ख् में तीन दोस्तों की फर्जी एनकाउंटर में हुई थी मौत।

- फर्जी एनकाउंटर में पुलिस ने प्रशांत, हिमांशु और विकास रंजन को नटवा व छोटवा डकैत से जुड़ा बताया।

- सिर्फ दो रुपए के लिए आठ गोली मार दी गयी।

- लोकल डकैत से जुड़े तार का हवाला दिया था शास्त्रीनगर पुलिस ने।

- इस मामले में चार्जशीट सीबीआई ने दर्ज की।

- इस दौरान राबड़ी देवी की सरकार थी और इनकाउंटर मामले को खत्म करने में जुटी रहीं।