आशियाना नगर फर्जी मुठभेड़ मामले में पटना सिविल कोर्ट ने सुनाया फैसला

एक को मौत, तो बाकी सातों को मरने तक आजीवन कारावास

- सजा के बाद अब हाईकोर्ट जा सकते हैं अपराधी

- 28 दिसंबर 2002 को हुआ था फर्जी एनकाउंटर

PATNA : क्ख् साल बाद तीन दोस्तों की हत्या के आठों आरोपी को कोर्ट ने सजा सुना दी है। पटना सिविल कोर्ट ने दारोगा शमसे आलम को मौत की सजा और रेस्ट सातों आरोपी को मरने तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। पांच जून को इस मामले में आठों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने सजा सुनाने की डेट मुकरर्र की थी, पर बीच में दो बार डेट बढ़ने की वजह से यह आगे बढ़ता चला गया। आखिरकार रविशंकर सिन्हा की कोर्ट ने प्रशांत, विकास रंजन, हिमांशु के हत्यारों को सजा सुना ही दी। इस मामले में दोषी आठों अपराधी जब कोर्ट से निकले, तो उनके चेहरे पर दुख और अपनी करनी पर पछतावा हो रहा था। वहीं, तीनों लड़कों की फैमिली के चेहरे पर थोड़ा सुकून दिख रहा था। विकास रंजन की मां कुमुद गुप्ता ने कहा कि फांसी की सजा के साथ-साथ तीनों बच्चों को शहीद की उपाधि भी मिलनी चाहिए, जो अभी बाकी है।

क्ब् फरवरी को सीबीआई को दिया गया केस

फर्जी एनकाउंटर की घटना को अंजाम देने के बाद पब्लिक का गुस्सा इस कदर भड़का था कि देखते-देखते यह पूरे पटना को अपनी चपेट में ले लिया। सम्मेलन मार्केट सहित आसपास के कई दुकानों को लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। बंदी, आगजनी और सरकार के खिलाफ हंगामे के बाद राबड़ी देवी की सरकार ने क्ब् फरवरी ख्00फ् को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने जब जांच शुरू की, तो पहली बार ख्9 मार्च ख्00फ् को सीबीआई ने चार्जशीट दर्ज की और फिर आठों अपराधी के खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया। कई सालों से चले आ रहे इस घटना की पुलिसिया, सीबीआई जांच के बाद ख्ब् जून ख्0क्ख् को सजा सुना दिया गया।