पश्चिम बंगाल के हैं तीनों 

पुलिस ने बताया कि पश्चिम बंगाल में फर्जी ज्वाइनिंग लेटर पर नौकरी दिलाने का रैकेट काम कर रहा है। ये तीनों वहीं के हैं। इनमें निरंजन दास पुत्र अजीत दास, जयंत राय पुत्र सुबोध चंद्र राय व निरोग राय पुत्र समोन राय शामिल हैं। तीनों पश्चिम बंगाल के अलग-अलग शहरों से बिलांग करते हैं। पूछताछ में इन्होंने बताया कि असम के मृदुल शर्मा नाम के एक युवक ने सीआरपीएफ में नौकरी दिलाने के लिए उनसे दो-दो लाख रुपए लिए। वहां से वह तीनों को मुजफ्फरपुर ले आया और हफ्ते भर अपने साथ रखा. 

 

वहीं दिया लेटर

आरोपियों ने बताया कि मृदुल ने उनसे सीआरपीएफ में सेटिंग होने की बात कही थी। मुजफ्फरपुर में भी सीआरपीएफ का गु्रप सेंटर है। वह तीनों को वहां भी ले गया था। इसके बाद उसने तीनों को फर्जी ज्वाइनिंग लेटर दिया। उसने कहा कि फाफामऊ सेंटर पर जाकर ज्वाइनिंग करनी है। इसी के बाद युवक फाफामऊ सेंटर पहुंचे। हालांकि यहां डिप्टी कमांडेंट एडमिनिस्ट्रेशन आरपी शाही को शक हो गया। डॉक्युमेंट चेकिंग में उनकी पोल भी खुल गई. 

 

पूरा रैकेट कर रहा है काम 

एसओ थरवई ने बताया कि युवकों के बयान से लग रहा है कि बंगाल में पूरा रैकेट सक्रिय है। रैकेट मेंबर्स युवकों से नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठते हैं और फिर फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर थमा देते हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस से संपर्क किया गया है और ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि तीनों सच बोल रहे हैं या झूठ. 

 

मिलीभगत भी!

आर्मी में भर्ती के दौरान दलालों के सक्रिय रहने का कई बार मामला सामने आ चुका है। आर्मी में नौकरी दिलाने के नाम पर शातिर भोले-भाले युवकों से पैसा ऐंठ लेते हैं। पुलिस को इस बात का भी शक है कि रैकेट के तार सीआरपीएफ अफसरों व कर्मचारियों से भी जुड़े हो सकते हैं। यही रीजन है कि शातिर मृदुल तीनों युवकों को मुजफ्फरपुर स्थित सेंटर में ले गया था.