LUCKNOW :यूपी ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (यूपीडीपीएल) से केंद्रीय औषधि भंडार को नकली दवाएं सप्लाई करने के मामले की जांच कर रही यूपी की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने यूपीडीपीएल के अफसरों, दो जिलों के सीएमओ और निजी फर्मो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस बाबत चंदौली जिले में हुई जांच के बाद यह कार्रवाई की गयी है। यह मामला करीब 12 साल पुराना है। चंदौली में हुई जांच में सामने आया कि वर्ष 2004 से 2006 के बीच नकली दवाओं की सप्लाई कर राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। खुली जांच में आरोप सही मिलने पर शासन के निर्देश पर ईओडब्ल्यू ने सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वहीं जांच के दायरे में यूपी के तमाम अन्य जिले भी आ गये हैं।

 

कानपुर के व्यापारी ने की थी शिकायत

दरअसल कानपुर में मेसर्स निर्मल इंडस्ट्रीज एंड कंपनी के प्रवीण सिंह ने ईओडब्ल्यू में विगत 28 फरवरी 2006 को शिकायत की थी कि यूपीडीपीएल द्वारा बनाई गयी दवाओं को स्वास्थ्य भवन स्थित केंद्रीय औषधि भंडार द्वारा खरीदा जाता है। सालाना करीब 25 करोड़ की दवाएं खरीदकर स्वास्थ्य विभाग के मंडलीय अपर निदेशक को वितरित की जाती है जहां से यह दवाएं सीएमओ के माध्यम से जनपदों के अस्पतालों में वितरित की जाती है। बावजूद इसके यूपीडीपीएल के उप प्रबंधक डीएल बहुगुणा द्वारा शासनादेशों व डीजी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत इन दवाओं के प्राइवेट डिस्ट्रीब्यूटर्स तैनात कर दिए जाते है। जबकि इन दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन और डायवर्जन की अनुमति नहीं है। प्रवीण सिंह का आरोप था कि यूपीडीपीएल के प्रबंध तंत्र को धोखे में रखकर डीएल बहुगुणा द्वारा नियुक्त डिस्ट्रीब्यूटर्स मंडलीय अपर निदेशक और सीएमओ की मिलीभगत से अवैध रूप से दवाएं प्राप्त कर डायवर्जन बिलों के आधार पर सीएमओ और सीएमएस को दोबारा बेच देते हैं। इस तरह इन दवाओं का एक तरफ केंद्रीय औषधि भंडार द्वारा यूपीडीपीएल को भुगतान किया जाता है, वहीं दूसरी ओर सीएमओ और सीएमएस द्वारा डायवर्जन बिलों के आधार पर डिस्ट्रीब्यूटर को भी भुगतान होता है।

 

जांच में सही मिले आरोप

प्रवीण सिंह द्वारा लगाए गये आरोपों की जब ईओडब्ल्यू ने जांच की तो आरोप सही पाए गये। इसके बाद इस मामले की जांच करने को ईओडब्ल्यू ने शासन से अनुमति मांगी। दो साल बाद 20 दिसंबर 2008 को शासन ने प्रदेश स्तर पर हुए इस घोटाले की जांच के आदेश दिए। चंदौली में इस बाबत तमाम गड़बडि़यां मिलने के बाद गत दिवस ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले का पहला केस दर्ज किया। इसमें चंदौली के तत्कालीन सीएमओ डॉ। उपेंद्र कंचन, डॉ। उदय प्रताप सिंह, तत्कालीन चीफ फार्मासिस्ट मुख्तार अहमद, यूपीडीपीएल के तत्कालीन उप प्रबंधन विपणन डीएल बहुगुणा, यूपीडीपीएल के तत्कालीन अधिशासी वाणिज्यिक अधिकारी वीएस रावत, दवा आपूर्ति करने वाली फर्म प्रिया फार्मास्युटिकल्स वाराणसी के मालिक राजेश चंद्र सिंह, मेसर्स दाऊ मेडिकल आगरा के मालिक सुरेश चौरसिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

 

 

ईओडब्ल्यू द्वारा स्वास्थ्य विभाग में हुए इस घोटाले की तेजी से जांच की जा रही है। जांच के दौरान 2004-06 के बीच स्वास्थ्य विभाग में तैनात रहे केंद्रीय औषधि भंडार के अपर निदेशक, मंडलों के अपर निदेशक, जिलों के सीएमओ और सीएमएस और यूपीडीपीएल के प्रबंध तंत्र से जुड़े सभी अधिकारियाें की भूमिका की गहनता से जांच की जाएगी। इसके बाद चंदौली की तरह अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- आलोक प्रसाद, डीजी, ईओडब्ल्यू