ठेके पर बैठाते हैं बीए एवं एमए के छात्र परीक्षा में

जसराना एवं शिकोहाबाद क्षेत्र में होता है बड़ा खेल

फीरोजाबाद। नकल पर प्रशासन नकेल कस रहा है, लेकिन इससे इतर जिले में एक और बड़ा कॉकस सक्रिय है। यह कॉकस बाहरी परीक्षार्थियों को पास कराने का ठेका लेता है तथा उनकी परीक्षा भी दूसरों से दिलवाता है। सूत्रों की माने तो देहात क्षेत्र में इस कॉकस की जड़ें काफी मजबूत हैं। आसपास के गांवों में ही उक्त कॉकस ने इस कदर जड़ें फैला रखी हैं कि बीए एवं एमए पास छात्र-छात्राएं ढाई से तीन हजार रुपये में आसानी से परीक्षाएं देने परीक्षा केंद्रों पर पहुंच जाते हैं। पहले से जानकारी होने के साथ में नकल करने में एक्सपर्ट यह छात्र इस कॉकस के मोहरा बन जाते हैं।

हालांकि इस कॉकस का खेल केवल उन छात्रों तक सिमटा रहता है जो नकल भी नहीं कर पाते। सिर्फ हाईस्कूल व इंटर की अंकतालिका के लिए इनके द्वारा पैसे दिए जाते हैं तथा कॉकस इनके स्थान पर दूसरों को परीक्षा में बैठा कर परीक्षा दिलाने का कार्य करता है। गत वर्ष तक यह खेल भी खुल्लमखुल्ला होता था। जसराना एवं फरिहा क्षेत्र के युवाओं को बोर्ड परीक्षा में बैठे-बैठाए आठ-दस दिन परीक्षा देने के ढाई से तीन हजार रुपये मिल जाते, हालांकि इस बार प्रशासन की सख्ती को देखते हुए यह खेल भी चोरी-छिपे हो रहा है। विभाग से ही जुड़े सूत्रों की माने तो इस बार काफी गुप-चुप ढंग से यह खेल चल रहा है। इस संबंध में स्कूल संचालक ही पोल खोल रहे हैं। गुरुवार को पहली परीक्षा के दिन ही कई परीक्षा केंद्रों पर उड़नदस्तों से स्कूल संचालकों ने दूसरे स्कूलों में फर्जी परीक्षार्थियों के बैठने की शिकायत की, लेकिन विभाग के समक्ष दिक्कत यह है हजारों परीक्षार्थियों की भीड़ में फर्जी परीक्षार्थियों की पहचान कैसे हो।

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केंद्र पर्यवेक्षकों के जरिए तोड़ेंगे कॉकस :

विभाग ने इस बार केंद्र पर्यवेक्षकों की मदद से इस कॉकस को तोड़ने की तैयारी की है। इसके लिए जिला विद्यालय निरीक्षक रवींद्र सिंह द्वारा केंद्र पर्यवेक्षकों को एक पत्र जारी किया जा रहा है। इस पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्र पर परीक्षा दे रहे बच्चों की फोटो का मिलान बोर्ड की अटैंडेश शीट से किया जाए। वहीं संदेह होने पर छात्र के संबंध में पूरी जांच पड़ताल की जाए। इस संबंध में जिविनि रवींद्र सिंह ने कहा है केंद्र पर्यवेक्षकों को निर्देश दिए गए हैं। पहले दिन आधा दर्जन के करीब फर्जी परीक्षार्थी पकड़े हैं जो दूसरों के स्थान पर परीक्षा दे रहे थे। जो केंद्र इसके लिए कुख्यात हैं, उन पर अभियान चला कर कार्रवाई की जाएगी।

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देरी से कॉपी पहुंचने में नकल का खेल तो नहीं :

परीक्षा केंद्रों पर कुछ स्कूलों की कॉपियां देरी से पहुंचने का मामला विभाग के संज्ञान में आ गया है, लेकिन आस पास के कई अन्य कॉलेज भी हैं, जिनके यहां से आधे घंटे की दूरी होने के बाद भी डेढ़ घंटे बाद उत्तर पुस्तिकाएं संकलन केंद्र पर पहुंची। ऐसे में कहीं कॉपी बदलने का खेल तो परीक्षा केंद्रों पर नहीं चल रहा। इस पर भी विभाग को ध्यान देना होगा। हालांकि पहले दिन ही विभाग ने नोटिस थमाने के साथ में कॉपी संकलन केंद्र पर पहुंचने का वक्त मुकर्रर कर दिया है। देखना यह है विभाग इस पर कितना शिकंजा कस पाता है।