- हाई अलर्ट के जरिए पकड़ में आया पूरा सिस्टम

- ओबामा के इंडिया आने पर शुरू हुई निगरानी से पकड़ा मामला

- स्पेशल इंटेलीजेंस ने शासन को भेजी पूरी रिपोर्ट

Meerut: गंगानगर में फर्जी मिनी एक्सचेंज को नोएडा-दिल्ली से ऑपरेट किया जा रहा था। हैदराबाद में सिम रिचार्ज हो रहे थे। देवबंद में बैठे लोगों की पाकिस्तान और अरब देशों में बात कराई जा रही थी। फिर भी पुलिस का दावा है कि इस केस का आतंकी लिंक नहीं है। हो सकता है कि पुलिस के दावे की कोई मजबूरी हो, लेकिन हम आपको बता दें कि इस केस में पकड़ा गया बहचौला का विकास चौहान ही फर्जीवाड़े का लोकल मैनेजर था। उसने न केवल निशांत और हरीश को न केवल कमरा दिलवाया था, बल्कि सिम खरीदने में भी उनकी पूरी मदद की थी। पिता आर्मी से रिटायर हैं, इसलिए उसे सेना के बारे में भी जानकारी है। पुलिस निशांत और हरीश तक भी नहीं पहुंच पाई है। सिम बेचने वाले मामचंद को हिरासत में लेकर जरूर पूछताछ कर रही है।

पकड़ में आया मामला

दूरसंचार निगम के विजीलेंस टेलिकॉम मॉनीटरिंग के डायरेक्टर अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के इंडिया आगमन पर देशभर में हाईअलर्ट जारी किया हुआ है। बीएसएनएल की दिल्ली की टीम ने दिल्ली से इस तरह फर्जी ढंग से हो रही इंटरनेशनल कॉलिंग को पकड़ा। दूरसंचार निदेशालय के आदेश पर ही विदेश में कॉल कराने वाले सेंटर की तलाश की गई, जो गंगानगर में सुमेधा दीक्षित के यहां मिनी एक्सचेंज चलता मिला। जो एयरटेल के टॉवर से जुड़ा हुआ था। कमरे में अंदर लगे राउटर में बीएसएनएल के सिम का प्रयोग हो रहा था, जिसका सीधा सीधा नुकसान भारतीय दूर संचार निगम को हो रहा था। विभाग को तो सिर्फ राजस्व की हानि हुई है। इस कृत्य से देश की सुरक्षा में भी सेंध लगी है। ऐसे में सबसे बड़ी बात यह है कि यदि बराक ओबामा का इंडिया आगमन न होता तो इस प्रकरण का खुलासा न होता।

शासन को भेजी पूरी रिपोर्ट

स्पेशल इंटेलीजेंस ने भी शासन को रिपोर्ट भेज दी है, जिसमें पूरे प्रकरण की जानकारी दे दी गई है। सूत्रों की माने तो रिपोर्ट में फर्जी मिनि टेलीफोन एक्सचेंज शासन को भेजी गई है। रिपोर्ट में शामिल किया गया है कि ओबामा के आने पर जारी हुआ हाई अलर्ट ने इस पूरे मामले से पर्दाफाश किया है।

विदेशी कॉल के पीछे मुनाफे का मोटा खेल

अवैध तरीके से कराई जाने वाली इंटरनेशनल कॉल के पीछे मुनाफे की मोटी कमाई छिपी हुई है। अमूमन 10 से 12 रुपये के बीच होने वाली विदेशी कॉल इस गलत व अवैध तरीके से मात्र केवल एक से दो रुपये में संभव हो जाती है। ब्राडबैंड इंटरनेट की सहायता से लोकल कॉल को इंटरनेशनल कॉल में आसानी से कन्वर्ट कर दिया जाता है। बड़े-बड़े शहरों में चोरी छुपे चल रहे इस तरह के प्राइवेट एक्सचेंज कुछ माह के भीतर लाखों के वारे-न्यारे करने में लगे हुए हैं।

इंटरनेशनल कॉल का रिकॉर्ड नहीं मिल सकता

- मोबाइल सिम बेचने वाले मामचंद को हिरासत में लिया

- देवबंद और मेरठ से की गई थी सबसे अधिक कॉल

- पुलिस ने 40 संदिग्ध नंबरों के आधार पर शुरू की जांच

Meerut: गंगानगर में फर्जी मिनी टेलीफोन एक्सचेंज से कराई गई इंटरनेशनल कॉलिंग का रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है। अवैध रूप से चल रहे इस एक्सचेंज के लिए क्राइम ब्रांच समेत बीएसएनएल के अधिकारियों ने दिन भर छानबीन की। शनिवार को भी आईबी से लेकर सेना की इंटेलीजेंस ने कई घंटों तक विकास से पूछताछ की। पुलिस की जांच में अभी तक आतंकी कनेक्शन निकलकर नहीं आया है, लेकिन बीएसएनएल के राजस्व की हानि जरूर सामने आई है।

बड़ी सेंध लगी है

देश की सुरक्षा में भी सेंध लगी है। विदेश में कराई गई कॉल किसने ने किसकों की? यह जांच बीएसएनएल और पुलिस विभाग के लिए अहम मानी जा रही है। इतनी बड़ी संख्या में हुई कॉल अमेरिका, पाकिस्तान, सऊदीअरब समेत कई देशों में हुई थी, इन कॉल के जरिए देश की अहम जानकारी तो बाहर नहीं गई है, इसी सवाल की तलाश में आईबी से लेकर सेना की इंटेलीजेंस और पुलिस जांच कर रही है। देहरादून की जिस कंपनी से फ्रेंचाइजी की गई थी। उसकी जांच भी विस्तार से की जा रही है। पुलिस अभी तक आतंकी संगठन से जुड़े होने से भी स्पष्ट इंकार नहीं कर रही है। एसएसपी ओंकार सिंह का तर्क है कि अभी तक की जांच में गैर कानूनी तरीके से इंटरनेशनल कॉल होनी पाई गई है। आगे की जांच अभी जारी है।