टेंडर घोटाला
लखनऊ के एक हिंदी अखबार में हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से कई तरह के सामान की खरीद-फरोख्त का टेंडर कुछ 'खासÓ लोगों को प्रिंट हुआ दिखाया गया। मगर, चौंकाने वाली बात यह रही कि ऐसा कोई टेंडर, उस अखबार में पब्लिश ही नहीं हुआ था। फर्जी तरीके से प्रिंट किए गए टेंडर के एड में लोगों से सीएचसी और पीएचसी पर होने वाले सामान की सप्लाई की कुटेशन मांगी गई दिखाई गई थीं।


ऐसे किया मैनेज
लखनऊ से निकलने वाले हिंदी अखबार स्वतंत्र भारत के नौ अगस्त 2008 के ईश्यु में पेज नम्बर पांच पर उत्तर मध्य रेलवे, इलाहाबाद, केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन और संघ लोक सेवा आयोग का एडवरटाइजमेंट  निकला था। वहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट के कुछ शातिर लोगों ने अपनी कारगुजारियों से इस एडवरटाइजमेंट के पेज पर 'खेलÓ कर दिया। उत्तर मध्य रेलवे, इलाहाबाद के रेलवे संकेत कार्य के लिए मांगे गए ठेके के एडवरटाइजमेंट को हटाकर इसकी जगह पर अल्पकालीन निविदा सूचना का एडवरटाइजमेंट सेट का दिया गया। फोटोस्टेट के जरिए मैनेज किए गए इस टेंडर में यूपी के गवर्नर की ओर से पीएचसी और सीएचसी के लिए 8.8.2008 से लेकर 16.8.2008 तक 300 रुपये के टैक्स के साथ फर्नीचर, सर्जिकल इक्विमेंट्स और अन्य सामान की सप्लाई का टेंडर निकाला गया है। इस टेंडर को मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आगरा की ओर से निकाला गया था।


खुलने लगी पर्तें

फर्जी तरीके से मैनेज किए गए इस टेंडर का फायदा सिर्फ उन लोगों को मिला जिनको इसके बारे में बताया गया, क्योंकि असल में तो यह एडवरटाइजमेंट पब्लिश ही नहीं हुआ था। सीएमओ डॉ। राम रतन ने फरवरी 2008 में यहां सीएमओ के पद पर ज्वॉइन किया था। इस टेंडर के बारे में सिर्फ उन लोगों को पता चला जिनको बाद में सामान की सप्लाई का टेंडर दिया गया। अपने लोगों को टेंडर देने के लिए डिपार्टमेंट के लोगों ने फर्जी टेंडर निकालकर असली घोटाला किया है। करीब तीन साल बाद इस घोटाले की पर्त खुलने अब लगी हैं।


हो सकती है मिलीभगत 
इस फर्जी टेंडर के तार एनआरएचएम घोटाले से जुड़े हो सकते हैं। जिन प्रोजेक्ट्स के लिए सामान और मेडिसिंस की सप्लाई का टेंडर मांगा गया था, वो सभी प्रोजेक्ट एनआरएचएम के अंतर्गत आते हैं। सोर्सेज के मुताबिक, इन टेंडर को निकालने और पास करने में करोड़ों रुपए का खेल हुआ है। इस पूरे टेंडर की प्रक्रिया में हेल्थ डिपार्टमेंट के आला अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका से भी नहीं मुकरा जा सकता है। इस फर्जी टेंडर को किन फम्र्स को दिए गए, डिपार्टमेंट इस बात को बताने को तैयार नहीं है।


इनका हुआ फर्जी टेंडर पास
- जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत दी जाने वाली मेडिसिंस
- राष्ट्रीय अंधता निवारण के तहत दिए जाने वाले चश्मे
- सर्जिकल इक्विपमेंट्स की सप्लाई
- सीएचसी और पीएचसी पर दी जाने वाली मेडिसिंस
- 12 सीएचसी और 45 पीएचसी पर हुए रेनोवेशन और फर्नीचर का टेंडर
- सेनीटेशन में यूज होने वाले केमिकल्स और इक्विपमेंट्स
- आयरन टेबलेट्स और अन्य विटमिंस की सप्लाई का टेंडर


वर्जन
मामला मेरे संज्ञान में आ चुका है और जल्द ही मामले की जांच शुरू करवाई जाएगी।
- डॉ। राम रतन, सीएमओ

Report by- Aparna sharma Acharya