- जॉब के नाम पर सबसे ज्यादा सामने आए फ्रॉड के मामले

- हाउस लोन और फ्लैट के नाम पर मांगी जाती है डिटेल

mayank.srivastava@inext.co.in

LUCKNOW: साइबर क्राइम केवल कैश ट्रांजेक्शन या फिर एटीएम फ्रॉड तक सीमित नहीं है। साइबर क्रिमिनल्स ठगी के नए-नए पैतरे निकाल रहे हैं। कभी जॉब के नाम पर तो कभी हाउस लोन और फ्लैट के नाम पर फेक वेबसाइट के जरिए ठगी की जा रही है। यहां तक की सरकारी वेबसाइट के नाम पर भी फेक वेबसाइट का पेज बनाकर सोशल मीडिया पर लोगों को लुभाया जा रहा है। एक बार वेबसाइट पर लिंक करते ही 'आप' साइबर क्रिमिनल्स के जाल में फंस जाते हैं और अपनी डिटेल आसानी तक उन तक पहुंचा देते हैं। जिससे ठगी के शिकार हो जाते हैं।

ऑनलाइन वेबसाइट पर नौकरी तलाश रहे हैं तो रखें ध्यान

असली नकली की ऐसे करें पहचान

किसी भी सरकारी विभाग की वेबसाइट के असली नकली की पहचान उसके वेब पेज से नहीं बल्कि यूआरएल से की जा सकती है। जिस यूआरएल में लॉक (ताले) की इमेज होती है, वही असली बेबसाइट होती है। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।

इस तरह होते हैं ठगी का शिकार

सरकारी डिपार्टमेंट की फर्जी वेबसाइट खोलते ही एक पेज जोकि खुद क्रिएट किया जाता है, खुलता है। उस पेज में दोबारा लॉगिन करने के लिए कहा जाता है। लॉगिन के साथ आप से नाम, पता, एजुकेशन जैसी पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। इसके बाद एग्जाम संबंधी डिटेल देकर ऑनलाइन फीस जमा करने को कहा जाता है। ऑनलाइन फीस में भी कई ऑप्शन होते हैं। जैसे क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग आदि।

बैंक से नहीं आता है कोई मैसेज

ऑनलाइन डिटेल के लिए जो पेज खुलता है, इस पर भी लोगों से लॉगइन करने को कहा जाता है। इसे लॉगइन करते ही लोगों से उनकी बैंक डिटेल मांगी जाती है। इस दौरान लोगों के पास एक ओटीपी भी आती है। जिसका यूज करके फीस का भुगतान किया जाता है, लेकिन फीस जमा होने के बाद बैंक से किसी तरह का कोई मैसेज नहीं आता है। जबकि आपकी सारी पर्सनल डिटेल और अकाउंट की जानकारी साइबर ठगों के पास पहुंच जाती है। यह डिटेल हासिल होने के बाद साइबर ठग आसानी से लोगों का अकाउंट खाली कर देते हैं।

रखें ध्यान ताकि न हों ठगी का शिकार

- जिस वेबसाइट के यूआरएल में \\\\httश्चह्य लॉक (ताले की इमेज) होगा। वही असली वेबसाइट है।

- कई वेबसाइट पर केßÜ http// लिखा होता है वह असली वेबसाइट नहीं होती हैं।

- \\\द्धह्लह्लश्च का मतलब सिक्योर होता है। इस शब्द को देखने के बाद ही वेबसाइट पर लॉगइन करें।

- इसका असली मतलब होोÌæ ãñ \\\\hypertext transfer protocol (ह्य)

कोट -

कैश ट्रांजेक्शन के दौरान ऑनलाइन ठगी के साथ-साथ कुछ फेक वेबसाइट के जरिए भी ठगी के मामले सामने आ रहे हैं। लोग बगैर जांचे ही वेबसाइट पर अपनी डिटेल अपलोड कर देते हैं। जिससे उनका डाटा आसानी से साइबर अपराधियों तक पहुंचा जाता है और फिर वह उस डाटा के माध्यम से आसानी से ठगी कर लेते हैं। कोई भी वेबसाइट में डिटेल भरते समय उसकी जांच की जा सकती है।

अभय कुमार मिश्र,

सीओ नोडल प्रभारी साइबर सेल