- शहीद के तीन बच्चे पूछ रहे, क्या पापा अब कभी नहीं आएंगे?

- उड़ी में शहीद गणेश शंकर ने एक सप्ताह पहले घर पर की थी बात

GORAKHPUR: उड़ी में शहीद हुए सन्त कबीर नगर के घुरापाली निवासी गणेश शंकर यादव के तीनों बच्चों के सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। वे अपनी मां, रिश्तेदारों और सबसे पूछ रहे हैं कि क्या उनके पापा अब कभी नहीं आएंगे? अभी एक सप्ताह पहले ही गणेश ने घर पर बात की थी। सबका हाल-समाचार लिया था। कहा था कि बहन की शादी की तारीख फिक्स हो जाए तो बता देना। वे आएंगे तो बहन की शादी के समय ही अधूरे घर की छत भी बनवा देंगे। फिर बच्चों को किराए के मकान में नहीं रहना होगा। लेकिन, होनी ऐसी कि छत तो बनी नहीं, बच्चों के सिर से पिता का साया ही उठ गया।

पत्‍‌नी, बच्चों का बुरा हाल

शहीद गणेश शंकर ने एक सप्ताह पहले जब फोन किया था तो एक-एक कर सबसे बात की थी। पत्‍‌नी गुडि़या, मां कलावती, बेटी 10 वर्षीय अमृता, छह वर्षीय अकृत, तीन वर्षीय ख़ुशी से उनका हाल-चाल पूछा। उसके बाद से ही उनका फोन नहीं लग रहा था। परिजन बात नहीं होने से परेशान तो थे लेकिन उन्हें नहीं पता था कि अब कभी बात ही नहीं होगी।

पड़ोसी ने दी सूचना

सोमवार की सुबह अखबार से पड़ोसियों को गुडि़या के पति के शहीद होने की जानकारी हुई। इसके बाद ही उसे पता चला। घर-परिवार, आस-पास चीख-पुकार मच गई। घर-परिवार के लोगों के साथ उनसे मिलने आने वाले भी रो पड़ते। रोते हुए सभी शहीद के शव का इंतजार कर रहे हैं।

गणेश पर ही परिवार का भार

गणेश शंकर यादव के पिता देवीदिन यादव कलकत्ता के एक जुट मिल में काम करते थे। पिछले वर्ष फरवरी माह में बीमारी से उनकी मौत हो गई। इसके बाद गणेश की जिम्मेदारी बढ़ गई। बड़े भाई बेरोजगार हैं। ऐसे में उनके बच्चों की जिम्मेदारी भी गणेश पर ही थी। पत्‍‌नी गुडि़या अपने जेठ सुरेश चन्द के दोनों बच्चों और अपने तीनों बच्चों के साथ पीपीगंज कस्बे के वार्ड नं। 6 में किराए के मकान में रहकर उन्हें पढ़ाती हैं।

बहन की शादी तय कर गए थे

कुछ वर्ष पूर्व पीपीगंज के वार्ड नं। 1 में जमीन खरीदकर मकान बनवाना शुरू किया लेकिन पैसे की कमी के चलते मकान पूरा नहीं हो पाया। दीवार खड़ी हुई लेकिन छत नहीं बन पाई। बड़ी बहन अमरावती की शादी अभी दो वर्ष पहले ही गणेश ने किया था। दो माह पहले जब गणेश छुट्टी पर आए थे तब अपनी छोटी बहन रिंकी की शादी तय कर वापस ड्यूटी पर चले गए थे। बहन की दिखाई की रश्म बीते 12 सितम्बर को हुई थी। जाते समय उन्होंने घर वालों से कहा था कि शादी की डेट फिक्स कर हमें बता दीजिएगा। हम आएंगे तो बहन की शादी भी हो जाएगी और उसी समय घर की छत भी बनवा देंगे। लेकिन, यह ख्वाब अधूरा ही रह गया। छोटी बहन की शादी में यह भाई अब कभी नहीं आ पाएगा।

बॉक्स

और जल गया चूल्हे पर बन रहा खाना

गणेश की पत्‍‌नी गुडि़या पीपीगंज स्थित किराए के मकान में सोमवार को सुबह बच्चों के लिए खाना बना रही थी। बच्चों को नाश्ता कराकर उन्हें स्कूल भेज चुकी थीं। इसी बीच पड़ोसी ने आकर पति के शहीद होने की सूचना दी। सुनते ही वे सदमे में आ गई। पड़ोसी ने बताया कि चूल्हे पर रखा खाना वैसे ही जल गया। कुछ ही देर में रिश्तेदार पहुंच गए। बच्चों को भारद्वाज पब्लिक स्कूल से बुलवाया गुडि़या को लेकर उनके ससुराल घुरापाली पहुंचे।

बॉक्स

बच्चों को बनाना चाहते थे सेना में अधिकारी, स्कूल में छुट्टी

भारद्वाज पब्लिक स्कूल, जिसमें गणेश के बच्चे पढ़ते हैं, की प्रिंसिपल डॉ। सुनीता पाठक ने सोमवार को श्रद्धांजलि सभा के बाद अवकाश घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि गणेश के तीनों बच्चे और उनके भाई के दो बच्चे इस विद्यालय में 3 वर्षों से पढ़ते हैं। गणेश छुट्टी में जब भी आते थे तब विद्यालय भी जरूर आते थे। उनके अंदर तो देशभक्ति का जज्बा था ही, वे बच्चों में भी यही जज्बा भरना चाहते थे। वह बेटे आकृत को सेना में अधिकारी बनाना चाहते थे।