ताकि लोग पढ़कर जान जाएं

मीरगंज एरिया की चार गलियों में वेश्यावृत्ति का धंधा होता है। सुबह से शाम तक यहां मनचलों की भीड़ जमा होती है। कभी इस एरिया में सैकड़ों  परिवार रहते थे। समय बीतने के साथ इनकी संख्या लगातार कम होती गई। अब महज गिने-चुने ऐसे परिवार यहां रह गए हैं। शांति से रह सकें, इसके लिए इन्होंने अपने दरवाजे पर बोर्ड लगा रखा है। बोर्ड पर लिखा है कि 'ये फैमिली क्वार्टर हैÓ। ऐसा इसलिए ताकि कम से कम महज बदनाम गली में रहने की वजह से इन्हें परेशान न किया जाए। वैसे बिजनेस प्वाइंट ऑफ व्यू से ये एरिया काफी समृद्ध है। यहां इस समय 800 से अधिक दुकाने हैं।

पुलिस करती है परेशान

मीरगंज की गलियों में रहने वाले सुशील केसरवानी इसी एरिया में ज्वैलरी शॉप चला रहे हैं। दो साल पहले उन्होंने यहां से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। अब वे सपरिवार अतरसुइया में रह रहे हैं। उनका कहना है कि आए दिन वेश्यालयों में पुलिस का छापा पड़ता है। पुलिस वाले शरीफ लोगों को भी परेशान करते हैं। यही रीजन है कि उन्होंने इस एरिया से निकलने में ही अपनी भलाई समझी।

घर की तलाश है

इसी एरिया की बदनाम जुलाहा गली में रहने वाले संजय चौरसिया के चेहरे पर दर्द साफ झलकता है। उनका परिवार पिछले 90 सालों से यही रहता आ रहा है। हालांकि इस फैमिली की मानें तो अब उनकी हिम्मत जवाब देने लगी है। बकौल संजय, वे शहर में ही किसी दूसरे ठिकाने की तलाश में लगे हैं। दिनभर यहां मनचलों का आना-जाना लगा रहता है। कई पड़ोसी पहले ही घर छोड़कर जा चुके हैं। पुलिस भी शरीफ और बदमाश में अंतर नहीं जानती है। गली में अक्सर लड़ाई और गाली-गलौज की नौबत बनी रहती है।

वापस लौट जाते थे रिश्ते

'काफी परेशान हो चुका था। परिवार में बच्चों की शादी होना मुश्किल हो गया था। रिश्ते लगने से पहले ही टूट जाते थे। यही रीजन था कि तीन साल पहले बेनीगंज में नया घर बनवाकर शिफ्ट कर लिया.Ó ये कहना है कि संजय सिंह का। 70 साल तक मीरगंज में रह चुके संजय के जेहन में अभी भी इस एरिया से जुड़ी कई यादें हैं जिनके बारे में सोचना भी नहीं चाहते।

अक्सर होती हैं घटनाएं

मीरगंज की गलियों में हड़कंप और मारपीट तो डेली की बात है। आए दिन शराबियों और मनचलों की पिटाई होती है। इसी एरिया के रहने वाले त्रिलोकी बताते हैं कि जबरदस्ती धंधे में लाई गई लड़कियां मौका पाते ही भाग निकलती हैं। दो साल पहले एक लड़की आधी रात को बारजे से कूदकर भाग निकली थी। तब यहां काफी हो-हल्ला मचा था। अगर कोई मजबूरी में गली से गुजरे तो लोग उसे गलत नजरों से देखते हैं। ऐसी सिचुएशन में भला यहां कौन रहना चाहेगा।

पहले होता था मुजरा और अब

मीरगंज एरिया में कई साल पहले मुजरा हुआ करता था। आसपास के जिलों से लोग यहां पर अपना मनोरंजन करने आते थे। ये महिलाएं मूल रूप से राजस्थान के धवलपुर से आई थीं। पेशे से बंजारन ये महिलाएं यहां कई साल पहले आकर बस गईं। धीरे-धीरे यहां पूर्ण रूप से वेश्यावृत्ति होने लगी। एरिया में मारपीट और गाली-गलौज जैसी घटनाएं अब आम बात हो गई हैं। देश के कई हिस्सों से लाकर नाबालिग लड़कियों को जबरन भी इस धंधे में धकेल दिया जाता है।

शर्मनाक है ये सिचुएशन

जिस एरिया को इस समय रेड लाइट एरिया कहा जाता है वहां कभी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म हुआ था। यही रीजन है कि इस जगह से वेश्यावृत्ति को हटवाने के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला। स्थानीय निवासी बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भी गया था लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। नेहरू की जन्मस्थली होने की वजह से लोग यहां पर नेहरू स्मारक का निर्माण कराना चाहते थे। इसी एरिया में बने मोहम्मद अली पार्क में स्वयं नेहरू की मंडली भी लगा करती थी।

रेडलाइट एरिया में रेड, कई पकड़े गए

पहले ये लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनका सौदा करता था। उन्हें खरीदकर अपने साथ लाता था। फिर इन्हीं लड़कियों को जिस्म का सौदा करने पर मजबूर करता था। घिनौना खेल खेलने वाले इस शख्स को आखिरकार पुलिस ने धर दबोचा। मीरगंज स्थित रेडलाइट एरिया में रेड के दौरान इसे पकड़ा गया। मुंबई की रेस्क्यू फाउंडेशन एनजीओ भी पुलिस के साथ थी। पुलिस ने चार युवतियों को भी पकड़ा।

Report by- Vineet Tiwari