गुरदासपुर जिले में पकड़ा गया

अब्दुल की कहानी पूरी फिल्मी है. वर्ष 1991 में फिल्म ‘सडक़’ देखने के बाद वह इस कदर पूजा भट्ट का दीवाना हुआ कि बिना पासपोर्ट 1994 में नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हो गया. वह पंजाब के गुरदासपुर जिले में पकड़ा गया और पिछले 19 सालों से राज्य के अलग-अलग जेलों में रह रहा है. फिलहाल उसे अमृतसर सेंट्रल जेल में रखा गया है. अब्दुल शरीफ की पैरवी के लिए कोई नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने जब ईरान से उसके बारे में जानकारी मंगवाई तो वहां के दूतावास ने अब्दुल को अपना नागरिक मानने से इन्कार कर दिया.

पूजा भट्ट का नाम गुदवाया

अब्दुल बताता है कि भारत आने के बाद उसने अपने शरीर पर पूजा भट्ट का नाम गुदवाया. सोमवार को जेल में रोजा खोलने के समय जब मुस्लिम कैदियों को मिठाई, कपड़े आदि बांटे जा रहे थे तो अब्दुल भी लाइन में खड़ा हो गया. कहने लगा कि वह पूजा भट्ट के लिए पिछले 19 सालों से रोजा रख रहा है. पूरी उम्मीद है कि एक दिन पूजा ही जेल से उसे रिहा कराएंगी. नहीं तो उनकी याद में वह जेल की चारदीवारी में दम तोड़ देगा. अब्दुल के साथी कैदियों का कहना है कि उसकी जुबां पर हमेशा पूजा भट्ट का ही नाम रहता है.

Report by: Ramesh Shukla 'Safar' (Dainik Jagran)

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