- पट्टे पर लेकर दस बीघा जमीन लेकर बोई थी जौ व गेहूं की फसल

- ओलों से बिछ गई जौ, मेड़ पर पड़ा दौरा

फीरोजाबाद: गरीबी में जी रहा किसान रईस कुदरत की मार नहीं झेल पाया। पट्टे पर लिए दस बीघा खेत के आधे हिस्से में खड़ी जौ की फसल बिछी देख ऐसा सदमे में आया कि मेड़ पर ही गिर पड़ा। पति की हालत देख पत्‍‌नी की चीख सुनकर किसानों की भीड़ जुट गई। मगर, इलाज को ले जाने से पहले ही रईस के प्राण पखेरू उड़ गए।

मूल रूप से एटा जिला के बाबरपुर निवासी रईस पाल सिंह (60) तीस साल पहले रामगढ़ के नैपई में ननिहाल में बस गए थे। ननिहाल में भी कोई जमीन नहीं थी, इसलिए रईस पट्टे की जमीन पर खेती करके गुजर बसर करते थे। इकलौती बेटी वैजयंती की शादी के बाद परिवार में केवल पति-पत्‍‌नी रहते थे। हर साल की तरह इस बार भी रईस में दस बीघा जमीन में गेहूं और जौ की फसल बोई थी। जौ की फसल पक चुकी थी और वह कटाई के लिए मौसम साफ होने का इंतजार कर रहे थे। वह फसल की रखवाली के लिए खेत पर लगे नलकूप की कोठरी में ही रहते थे।

शनिवार शाम से हुई बूंदाबांदी से फसल को थोड़ा नुकसान हुआ। रविवार की दोपहर हुई भारी ओलावृष्टि हुई। रईस कोठरी से निकलकर खेत पर गए तो जौ की फसल पूरी तरह बिछ चुकी थी। यह देख रईस को गहरा सदमा लगा और गश खाकर गिर पड़े। काफी देर तक वह नहीं लौटे तो उनकी पत्नी रामवती खेत पर पहुंची। पति को देख दहाड़ मारकर रोने लगी। इसके बाद आसपास के किसान पहुंचे, तब तक रईस की सांसें थम चुकी थीं। खेत पर किसान की मौत की घटना से ग्रामीण स्तब्ध हैं। सायंकाल पुत्री वैजयंती के आने पर रईसपाल का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

खेती से ही चलती थी जीवन की गाड़ी

नाम के रईसपाल की आर्थिक स्थिति खराब थी। बेटी की शादी के बाद पति-पत्‍‌नी ही परिवार में थे। दस बीघा जमीन पट्टे पर लेकर रईस खेती करते थे। पांच बीघा में परिवार के गेहूं उगाते थे और पांच बीघा में जानवरों के लिए जौ। रईस की मौत के बाद अकेली रह गई पत्‍‌नी का रो-रोकर बुरा हाल था।