- तूफान में फसल बर्बाद होने से डिप्रेशन में था

- फंदे पर पत्नी की आंखों के सामने हुई मौत

आगरा। खेती में बर्बाद हुए किसान ने आत्मघाती कदम उठा लिया। फंदे पर लटकते पति का शरीर कांप रहा था, लेकिन पत्नी कुछ न कर सकी। जब तक परिजन उसे उतारते तब तक उसकी मौत हो गई। किसान की मौत से परिवार में कोहराम मचा हुआ है। उसकी छह बीघा की फसल बर्बाद हुई थी।

चार बीघा लिया था बटाई पर

थाना सदर के सौहल्ला निवासी 28 वर्षीय भीमा उर्फ भूपेंद्र पुत्र होशियार सिंह चार भाई हैं। चारों भाइयों के पास दो बीघा खेत है। चारों भाई अपने परिवार के साथ एक ही मकान में रहते हैं। बड़ा भाई रामप्रकाश लेंटर डालने का काम, छोटा बॉबी ई-कॉमर्स कंपनी व नीरज पेट्रोल पम्प पर काम करता है। भीमा खेती करता था। छोटे भाई नीरज ने बताया कि उसने आध बटाई पर चार बीघा खेत और लिया था। छह बीघा खेत में गेहूं की फसल हुई थी। लेकिन दो बाहर आए तूफान और बारिश से फसल बर्बाद हो गई। नीरज ने बताया कि तूफान में फसल बर्बाद होने के बाद से वह तनाव में था। गुरुवार रात को वह शराब पीकर आया था। वह बोल रहा था कि 'बहुत घाटा हुआ है क्या करूं, मर जाऊं' लेकिन किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। रात में वह अपने कमरे में जाकर सो गया। पत्नी और बच्चे भी वहीं पर सोए हुए थे।

पत्नी से टकराए पैर

नीरज के मुताबिक रात में एक बजे करीब पत्नी को किसी के पैर मारने का अहसास हुआ। उसने आंख खोली तो भीमा फंदे पर झूल रहा था। उसका शरीर कांप रहा था। पत्नी ने शोर मचा दिया। बराबर के कमरे में मां शीला देवी सो रही थी। शोर सुन वह मौके पर पहुंची। भाइयों को उठाया। भाइयों ने उसको फंदे से खोल दिया। हॉस्पिटल ले गए, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। भाई का कहना था कि यदि कुछ मिनट पहले ही उतार लिया जाता, तो उसे बचाया जा सकता था।

मंजर को याद कर कांप उठती है पत्नी

नीरज ने बताया कि भाई की मौत के बाद से उसकी पत्नी रचना उस मंजर को याद कर कांप उठती है। जब भाई का शव फंदे पर लटक रहा था पत्नी चार वर्षीय बेटे निक्की और दो वर्षीय बेटे वरुण के साथ बेड पर सो रही थी।

मात्र छह बोरी गेहूं निकला

नीरज के मुताबिक एक बीघा में 15 बोरी गेहूं निकलते हैं। एक बोरी का सरकारी रेट 1700 रुपये है। तूफान आने के बाद एक बीघा से मात्र छह बोरी गेहूं किसी तरह निकल सका। भीमा को बहुत मोटा नुकसान हुआ था।