नई अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजे की मांग कर रहे शताब्दीनगर के किसान

शनिवार को उग्र हुआ धरना, सुबह टंकी पर चढे़ किसान और महिलाएं

Meerut। नई अधिग्रहण नीति के तहत मुआवजे की मांग को लेकर शताब्दीनगर सेक्टर पांच में डेढ़ दर्जन किसान और महिलाएं एमडीए की पानी की टंकी पर चढ़ गए। जानकारी पर पहुंची पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने खूब समझाने की कोशिश की किंतु किसान टंकी से उतरने को राजी नहीं हुए। डीएम -कमिश्नर को मौके पर बुलाने की मांग पर अड़े किसान देर रात्रि तक टंकी पर जमे रहे।

दिनभर चला हाईवोल्टेज हंगामा

शताब्दीनगर आवासीय योजना में सेक्टर 5 पर कब्जा जमाए बैठे करीब जैनपुर और घोपला के किसानों का आंदोलन शनिवार उग्र हो गया। गत 4 वर्षो से चल रहे अनिश्चितकालीन धरने के अगुवाकार किसान नेता विजयपाल घोपला का बीते दिनों से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। क्षुब्ध किसानों और महिलाओं का एक दल विरोध स्वरूप शनिवार सुबह समीप स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गया।

पुलिस-प्रशासनिक अफसर पहुंचे

बड़ी संख्या में लोगों के पानी की टंकी पर चढ़े होने की सूचना पर पुलिस-प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में सिटी मजिस्ट्रेट शैलेंद्र सिंह, सीओ ब्रह्मापुरी अखिलेश भदौरिया, थानाध्यक्ष टीपी नगर ब्रजेश कुमार शर्मा, थानाध्यक्ष परतापुर, ब्रह्मापुरी के बड़ी संख्या में पुलिसबल के मौके पर पहुंच गए। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश की किंतु वे टस से मस नहीं हुए। इस दौरान जानकारी पर किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष मांगेराम त्यागी, प्रदेश उपाध्यक्ष राजवीर सिंह, मंडल अध्यक्ष विनोद जिटाली, ईलम सिंह, नरेश चौधरी, संजय दौरालिया समेत सैकड़ों किसान नेता और मौके पर पहुंच गए।

यह है विवाद

मेरठ विकास प्राधिकरण ने वर्ष 1987 में शताब्दीनगर योजना के तहत जैनपुर और घोपला गांव की 640 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया।

दोनों गांवों की मुआवजा दर तय न होने पर निर्णय लिया गया कि जो गांव नजदीक होगा उसकी दरों पर किसानों को मुआवजा दिया जाएगा।

आरोप है कि एमडीए ने समीप के गांव रिठानी के बजाय काशी की मुआवजा दरें दोनों गांव के किसानों पर थोप दीं।

काशी गांव की तत्कालीन मुआवजा दरें 15 रुपये प्रति वर्ग मीटर ही थीं जबकि रिठानी गांव की जमीनों को 52 रुपये प्रतिवर्ग मीटर मुआवजा देकर एक्वायर किया गया था।

हालांकि बाद में किसानों के दबाव के बाद समस्त शताब्दीनगर योजना के किसानों को 695 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा मिला किंतु जैनपुर और घोपला के किसानों की मांग बनी रही कि उन्हें पिछली दरों में नुकसान हुआ है।

यहां से एमडीए और किसानों के बीच विवाद शुरू हुआ। 2014 में एक शासनादेश में योजना में दोनों गांवों के अधिग्रहण से इनकार किया गया तो 2015 में तत्कालीन डीएम पंकज यादव ने भी किसानों के कब्जे वाली भूमि को अधिग्रहण मुक्त बताया।

विवाद यही नहीं थमा और किसान नई अधिग्रहण नीति 2013 के तहत मुआवजे की मांग करने लगे।

देर रात्रि पहुंचे एमडीए सचिव

देर रात्रि मेरठ विकास प्राधिकरण के सचिव राजकुमार किसानों के बीच पहुंचे। बिना शासन के आदेश के अतिरिक्त प्रतिकर के भुगतान पर सचिव ने असमर्थता जताई तो वहीं किसान समस्या का समाधान न होने तक टंकी से उतरने को राजी नहीं हुए। खबर लिखे जाने तक किसान टंकी पर ही मौजूद थे। अनहोनी की आशंका को देखते हुए फायर बिग्रेड की हाइड्रोलिक समेत कई गाडि़यां मौके पर मौजूद थीं।