- आरटीओ, फाइनेंस कंपनी व ऑटो कंपनी की मिलीभगत

- बिना सेंशन के कैसे बिक गया ऑटो

BAREILLY: फर्जी परमिट वाले मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस खेल में आरटीओ ऑफिस, ऑटो कंपनी और फाइनेंस कंपनी की मिलीभगत है। परमिट बंद होने के बाद भी ऑटो कंपनी ने कैसे नया ऑटो फाइनेंस कर दिया। गाड़ी फाइनेंस होने के बाद भी उसका कोई जिक्र आरटीओ ऑफिस में क्यों नहीं है। किसी तीसरे बंदे यानी मढ़ीनाथ के रहने वाले दलाल मुकेश गुप्ता से ऑटो खरीदने के बाद हसीनउद्दीन फाइनेंस कंपनी की चपेट में आ गया है। उधर आरटीओ ऑफिसर्स कार्रवाई किए जाने का दबाव बना रहे हैं। चारों तरफ से घिरा हसीनउद्दीन थाने का चक्कर लगा रहा है।

बिना सेंशन के कैसे बिका ऑटो

अजीब बात यह है कि बिना आरटीओ ऑफिस से सेंशन हुए ही ऑटो कंपनी ने दलाल मुकेश को ऑटो कैसे बेच दिया। आरटीओ में पूरानी गाड़ी के सारे डॉक्यूमेंट जमा होने के बाद ही आरटीओ उसी चेचिस नंबर और इंजन नंबर गाड़ी बेचे जाने की परमीशन देता है। बावजूद इसके ऑटो कंपनी ने गलत ढंग से मुकेश को ऑटो बेच दिया। इतना ही नहीं श्यामगंज स्थित फाइनेंस कंपनी ने भी क् लाख रुपए का चेक काटकर ऑटो कंपनी को देकर मुकेश को ऑटो फाइनेंस करवा दिया।

बेवजह फंसा हसीनउद्दीन

फर्जी परमिट के आधार पर हसीनउद्दीन को ऑटो बेचने वाला मुकेश पिछले कई दिनों से घर से गायब है। पुलिस भी मुकेश और मामले ही जांच में जुटी हुई है। जबकि फाइनेंस कंपनी लोन के पैसे हसीनउद्दीन से वसूलना चाहती है। आरटीओ द्वारा उसे इस बात की वार्निग मिल रही है कि ऑटो रजिस्टर्ड नहीं है और उसे कागज भी फर्जी हैं।

तीन महीने पहले गाड़ी फाइनेंस की गई थी। पूरी तरह जांच के बाद ही मैंने लोन दिए थे। जिसको लोन दिए है वह फरार चल रहा है।

महेंद्र सिंह, ओनर, फाइनेंस कंपनी

इस मामले में सभी लोगों की मिलीभगत है। फर्जी परमिट पर कई ऑटो वाले ठगे जा चुके हैं। इस मामले को हम लोग आगे तक लेकर जाएंगे।

गुरुदर्शन सिंह, सेक्रेट्री, ऑटो चालक कल्याण सोसाइटी