हिट है इडली और डोसा
छह साल की रश्मि को साउथ इंडियन डिसेज काफी पसंद हैै। घर के साथ-साथ वो स्कूल के लंच आवर में भी अपनी फेवरेट प्लेन बटर डोसा ही खाना चाहती है। रश्मि का यह शौक प्राइवेट फर्म में जॉब करने वाली उसकी मां अनुराधा को भी काफी राहत देता है। रश्मि के स्कूल और अपने ऑफिस की तैयारियों के बीच अनुराधा को किचन में ब्रेकफास्ट और लंच बनाने में समय खर्च करना नहीं पड़ता। हर रोज सुबह साइकिल से उनके दरवाजे पर इडली और डोसा पहुंच जाता है। अनुराधा जैसे सैकड़ों लोगों की जरूरतों को देखते हुए सिटी में यह धंधा काफी तेजी से फैल रहा है। कदमा, सोनारी, सिद्दगोड़ा, साकची सहित सिटी के लगभग सभी एरियाज में बड़ी संख्या में सैकड़ों स्ïट्रीट फूड वेंडर मौजूद हैं, जो एक निश्चित रुटीन के अनुसार घरों में कई तरह के रेडीमेड फूड पहुंचाने का काम कर रहे हैैं। इडली, डोसा, वड़ा, उत्पम जैसे कई डिसेज ना सिर्फ ब्रेकफास्ट में इस्तेमाल किए जाते हैैं बल्कि लंच बॉक्स में भी अपनी जगह बना रहे हैैं।

Students की है first choice
स्टूडेंट्स के बीच मार्केट में बिकने वाले फूड्स काफी पॉपुलर हैं। सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल के पास पिछले दस सालों से साउथ इंडियन डिसेज का स्टॉल लगाने वाले बाला बताते हैैं कि उनके ज्यादातर कस्टमर स्कूल के स्टूडेंट ही होते हैं। बाला मॉर्निंग आठ से लेकर दोपहर दो बजे तक अपना स्टॉल लगाते हैं। इतनी देर में उनका सारा आइटम खत्म हो जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति लोयला स्कूल के पास लगने वाले फेमस डोसा स्टॉल की है। ये स्टॉल भी स्कूल आवर तक ही रहता है। लंच आवर में स्टॉल का सारा इडली-डोसा आउट ऑफ स्टॉक हो जाता है।

Working women को है फायदा
जॉब करने वाली महिलाओं के लिए बच्चों और पति के लिए ब्रेकफास्ट और लंच का इंतजाम करना काफी मुश्किल काम हो जाता है। ऐसी महिलाओं के लिए होम डिलीवरी या नजदीक के मार्केट में मिलने वाला रेडिमेड फूड काफी सुविधाजनक होता है। बारीडीह की प्रेमा वशिष्ठ बताती हैैं कि ये फूड भले ही घर के खाने की तरह न हो पर बिजी शिड्यूल होने की वजह से इन पर निर्भर रहना पड़ता है।

Office-goers का भी सहारा
साउथ इंडियन डिसेज के अलावा डिफरेंट ऑफिसेज के पास मिलने वाले छोले भटूरे, राजमा-चावल, पाव भाजी जैसे डिश जॉब करने वालों के बीच खासे फेमस हैं। लंच आवर में बिष्टुपुर और साकची जैसे कई इलाकों में ऑफिस बिल्डिंग्स और कंपनी गेट के पास फूड स्टॉल्स पर लोगों की भीड़ लगी रहती है। इंश्योरेंस कंपनी में जॉब करने वाले प्रेम दीक्षित बताते हैैं कि बैचलर होने की वजह से घर में ब्रेकफास्ट या लंच बनाना काफी मुश्किल होता है, ऐसे में ये स्ट्रीट कम बजट में पेट भरने का काम करता है।

मैं पिछले दस सालों से यहां स्टॉल लगा रहा हूं। मेरे ज्यादातर कस्टमर स्टूडेंट हैैं। वे लंच आवर में यहां आते हैैं। अच्छी बिक्री हो जाती है।
बाला, स्ट्रीट वेंडर

फास्ट फूड पर डिपेंडेंसी बढ़ रही है। मैं प्राइवेट फर्म में जॉब करता हूं। ऑफिस निकलने की जल्दी में ब्रेकफास्ट और लंच बनाने का मौका नहीं मिलता। ऐसे में अक्सर स्ट्रीट फूड से ही काम चलाना पड़ता है।
-अभिलाष, साकची

बच्चों को साउथ इंडियन डिसेज काफी पसंद है। कई फूड वेंडर घर तक लाकर इडली और डोसा पहुंचा देते हैं। इससे मुझे भी काफी रिलीफ मिल जाता है।
-कृति तिवारी, कदमा

सुबह बच्चों के स्कूल और पति के ऑफिस के साथ-साथ मुझे खुद भी ऑफिस जाने की तैयारी करनी पड़ती है। कई बार किचन में जाने का टाइम नहीं मिलता। ऐसे में फास्ट फूड ही एकमात्र ऑप्शन बचता है।
-राखी, उलियान

फिल्ड जॉब होने की वजह से अगर मैं लंच ले भी जाऊं तो उसे खाने का मौका नहीं मिलता। सिटी में कई जगहों पर सस्ते फूड आइटम मिल जाते हैं, उन्हीं से काम चलाना पड़ता है।
गौरव, त्रिपाठी

Reported by: abhijit.pandey@inext.co.in