- सारनाथ के गंज में आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता ने पांच साल के मासूम पर चाकू से किया वार, सीने और हाथ में आई गंभीर चोट

- टॉफी के लिए मांगे थे पिता से दो रुपये, पुलिस ने आरोपी पिता को पकड़ा

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महज दो रुपये के लिए कोई पिता अपने मासूम से बच्चे की जान लेने के लिए आमादा हो सकता है? ये सोचकर भी रूह कांप जाती है। लेकिन दिल दहला देने वाली ये वारदात रविवार शाम हुई है सारनाथ के गंज इलाके में। यहां आर्थिक तंगी से परेशान पिता विनोद राजभर से उसके पांच साल के बेटे शिवम ने टॉफी खाने के लिए दो रुपये क्या मांगे, गुस्से से तमतमाये विनोद ने पास में पड़े सब्जी काटने वाले चाकू से बेटे पर एक के बाद एक कई वार कर उसकी जान लेने की कोशिश की। बच्चे को गंभीर हालत में आस पड़ोस के लोगों ने जिला अस्पताल पहुंचाया जहां सीने और हाथ में चाकू से वार के कारण गंभीर हालत होने पर उसे मलदहिया स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। पुलिस ने आरोपी पिता को चाकू संग अरेस्ट कर लिया है।

अवैध गाइड है विनोद

गंज का रहने वाला विनोद सारनाथ आने वाले पर्यटकों को बतौर अवैध गाइड घुमाता फिराता है। घर पर तीन बच्चे सत्यम, शिवम और एक बेटी कोमल के अलावा पत्‍‌नी गायत्री है। आस पास के लोगों के मुताबिक नशे का आदी विनोद अक्सर शराब के नशे में सारे रुपये उड़ा देता है। जिसके कारण घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है। रविवार को भी नशे के लिए रुपयों का जुगत में जुटा विनोद उस वक्त आपा खो बैठा जब कक्षा एक में पढ़ने वाले बेटे शिवम ने टॉफी लाने के लिए उससे दो रुपये मांगे और अपना आपा खो बैठे विनोद ने बेटे पर सब्जी काटने वाले चाकू से कई वार किए। इस बीच पानी लेने गई पत्‍‌नी गायत्री लौटी तो बेटे शिवम को खून से लथपथ हाल में देखकर शोर मचाने लगी। जिसके बाद आस पास के लोगों ने बच्चे को अस्पताल पहुंचाया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने विनोद को पकड़ लिया है।

पिता ने इसी कमरे में दी थी जान

जिस कमरे में विनोद ने मासूम पर चाकू से वार किया है। उसी कमरे में उसके पिता कैलाश राजभर ने कुछ महीने पहले ही खुद को आग लगाकर जान दी थी।

ये घटना सच में शॉक्ड करने वाली है और इससे ये साफ होता है कि आज इंसान पैसों को ज्यादा तव्वजो दे रहा है। ये सब सिर्फ इसलिए है क्योंकि रिश्तों में दूरी बढ़ रही है। पिता हो या पुत्र, दादा हो या पोता अब सभी खुद के लिए जीते हैं न कि दूसरों के लिए। इसलिए ऐसी घटनाएं होना स्वाभाविक है।

प्रो संजय गुप्ता, साइक्रिएट्रिस्ट

समाज में रिश्तों से ज्यादा पैसों को

महत्व देने के कारण अब हर रिश्ते एक दूसरे से दूर हो गए हैं। लोग भूल रहे हैं कि रिश्तों से वजूद होता है न कि रुपयों से लेकिन समाज में बदलते हालात और बढ़ती जरूरतें इसकी बड़ी वजह है।

प्रो रमाशंकर त्रिपाठी, समाजशास्त्री