LUCKNOW :

पिता अपने बच्चों को अंगुली पकड़कर चलना सिखाता है, गलत काम करने पर डांटता है, परेशानी आने पर उसकी मदद करता है, अपने सारे दुख-दर्द भूलकर अपने बच्चों को हर खुशी देने की कोशिश करता है। उसका केवल एक ही मकसद रहता है कि उसके बच्चों के ऊपर कोई परेशानी न आए, वे हमेशा खुश रहें और जीवन में तरक्की करें। यही नहीं पिता अपनी लाइफ स्टाइल और विचारों में भी बच्चों की खुशियों के लिए चेंज ले आते हैं। ऐसे फादर्स को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट सैल्यूट करता है। जिन्होंने अपने बच्चों की खुशियों के लिए खुद को बदला। हम आपको कुछ ऐसे लोगों से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी इच्छाओं को अपने बच्चों के फ्यूचर के लिए न केवल बदला बल्कि दोस्त बन कर उनकी हर कदम पर मदद भी की।

1. पापा ने सपने को किया साकार

मेरे पिता निसार हसन खां का सपना था कि मैं इंजीनियर बनूं लेकिन मैं बिजनेस करना चाहता था। शुरु में पापा मुझसे नाराज हो गये मगर फिर उन्होंने मुझसे एक दिन कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम खूब नाम रोशन करो अगर तुम्हें बिजनेस करना है तो करो मगर दिल लगाकर। जब तक अपने बिजनेस को पूरा न कर लेना तब तक पीछे न हटना। उनके यह शब्द आज भी मुझे प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बिजनेस के लिए मुझे सपोर्ट तो किया ही साथ ही अब वे उसको लेकर मुझसे बात भी करते हैं। पापा को पार्टी में जाना नहीं पसंद था मगर हम लोगों की खुशी के लिए वो हम लोगों के साथ पार्टी भी अटेंड करते हैं। मेरे पापा मेरे सबसे अच्छे दोस्त है।

आसिफ खान

2. पापा ने किया सपोर्ट

पॉलिटिक्स मुझे पसंद है लेकिन मेरे पापा मुनेश्वर सिंह यादव बहुत सख्त थे उनकी बात के खिलाफ कोई नहीं जाता था। वो मेरे पॉलिटिक्स में जाने के खिलाफ थे। एक दिन मैंने हिम्मत कर उनसे बात की। तो उन्होंने मुझे डांट दिया फिर मैंने भी मन बना लिया कि जो पापा कहेंगे वहीं करुंगी। मगर कुछ दिन बाद पापा मेरे पास आये और बोले बेटी तुमको पॉलिटिक्स में जाना है तो जाओ मगर अपने उसूल और आदर्श हमेशा बनाए रखना। उस दिन मुझे पता चला कि वे ऊपर से सख्त हैं और अंदर से बहुत नरम दिल के है। पिता हैं शायद इसीलिए वो मेरी हर बात को अच्छे से समझ जाते है। उन्होंने मेरे लिए अपने आप को बदला। मुझे जब भी कोई परेशानी होती है तो मैं उन्हीं से शेयर करती हूं।

जाह्नवी यादव

3. अब पिता करते हैं ऑन लाइन शापिंग

मेरे पिता राजेंद्र सिंह चौहान शुरु से ही मोटिवेट करते थे। जब मैंने अपना नाम गौरव चौहान से गौरव ह्यूमन किया तो कई लोगों ने मेरे पिता से इसकी शिकायत की। मुझे लगा पापा गुस्सा करेंगे मगर उन्होंने मुझसे एक बात कही कि ऊंचे कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता बल्कि कर्मो और विचारों से इंसान की पहचान होती है। उन्होंने मेरे सोशल वर्क को भी सराहा। अपने आप को मेरे हिसाब से बदला। आज हम दोनों एक साथ बैठ कर ऑनलाइन शापिंग करते हैं। पहले वो थोड़ा हिचकिचाते थे मगर अब हम दोनों ऐसे रहते है जैसे दोस्त। मैं उनसे अपनी हर प्राब्लम बिना झिझक शेयर करता हूं और वो एक पिता नही बल्कि एक दोस्त की तरह मुझे अपनी राय देते है।

गौरव ह्यूमन

4. हमारे मनोबल को बढ़ाया

मेरे पिता हीरा लाल कुकरेजा ने अपना बिजनेस शुरु किया। हम बड़े हुए तो उनके बिजनेस में उनका साथ देने लगे। जब मैंने नए ट्रेंड के हिसाब से बिजनेस शुरु किया तो उन्होंने कहा कि बिजनेस ऐसे नहीं होता तुम लोग बिजनेस नहीं कर पाओगे। फिर जब उन्होंने बिजनेस को आगे बढ़ता देखा तो कहा कि अब तुम लोग ही बिजनेस देखो। मैं तुम लोगों की तरह लाइफ स्टाइल में रहूंगा। फिर कभी उन्होंने हम लोगों को मना नहीं किया हम लोग उनकी तरह नहीं हुए बल्कि वो हमारी तरह हो गये। अपनी लाइफ स्टाइल को उन्होंने चेंज किया। आज मैं बिजनेस संभालता हूं और पिता एक वेल विशर की तरह मुझे सलाह देते है। उन्होंने हमेशा कहा कि अपनी गलती से मत घबराओ उससे सीख लेकर आगे बढ़ो।

विक्की कुकरेजा

5. दो साल बाद पिता को पता चला बिजनेस

मेरे पिता श्री लाल बहादुर पाठक चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनूं उसके लिए उन्होंने मुझे गांव से शहर भेजा ताकि मैं पढ़ सकूं। अपने खर्चो में कटौती की मगर मैं बिजनेस करना चाहता था तो मैंने यहां आकर पढ़ाई के साथ बिजनेस शुरु कर दिया। मगर दिल में हमेशा डर था कि पिता को पता चला तो बहुत डांट पड़ेगी। क्योंकि किसान होने के नाते मेरे पिता का सपना बहुत मायने रखता था। जब उनको पता चला कि मैं बिजनेस कर रहा हूं तो शुरु में तो वो कुछ बोले नहीं और अब बहुत खुश है। पहले उनको कुछ नहीं आता था गांव में रहने के कारण ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन अब उन्होंने अपने को हम लोगों की तरह बना लिया है बिजनेस से लेकर सारा काम उनको आता है।

विनय पाठक