-15 साल पहले मात्र 300 रुपए में तीन बेटियों को बेच कर भेज दिया था लखनऊ

-किसी तरह मालिक से छुटकारा पाकर बच्चियां पहुंचा मामा के घर

-आशा एनजीओ ने तीनों को रख दिया हॉस्टल में

-कोचबांग स्कूल में एडमिशन भी कराया

>RANCHI: खूंटी-रांची के बॉर्डर स्थित दुलमी गांव में एक टंगराटोली है। यहां एक ऐसा पिता है, जो अपनी शराब की खातिर बेटियों को बेचने का काम करता है। इतना ही नहीं, बच्ची जब-जब घर वापस लौटी, उसे फिर उसी मालिक के पास मात्र फ्00-भ्00 रुपए में बेचता रहा। ऐसे में बच्चियों की जिद पर मालिक ने जब घर जाने दिया, तो वो सीधे अपने मामा के घर पहुंची। वहां इनकी दास्तान सुनने के बाद सभी लोग हतप्रभ रह गए। बाद में इसकी जानकारी आशा एनजीओ को दी गई। जिसने तीनों को भुसूर स्थित हॉस्टल में रख लिया और उनका एडमिशन भी कोचबांग स्कूल में करवा दिया।

यह है मामला

जानकारी के मुताबिक, दुलमी गांव की रहनेवाली तीन बहन शांति क्7 साल, बसंती क्भ् साल और सुशांति क्ब् साल को उसके पिता ने ही मात्र तीन सौ रुपए में बेच दिया था। इसके बाद शांति को लोग लखनऊ ले गए थे। वह क्भ् सालों तक वहां रही। इस बीच वह कई बार गांव आने के लिए मालकिन से कही। लेकिन मालकिन उसे यह कहकर टाल देती थी कि कहां जाओगी? यहीं पर रहो? काम के बदले उसे केवल रोटी और कपड़ा दिया जाता था। इसी बीच शांति के दिमाग में चोट लग गई। अब वह एबनॉर्मल हो गई। इसके बाद लखनऊ के मालिक ने उसे उसके घर भेज दिया। जब दो तीन माह के बाद वह ठीक हो गई, तो फिर उसे लखनऊ भेज दिया गया। शांति ने अपने मालकिन से कहा कि वह काम नहीं करना चाहती है, बल्कि पढ़ना चाहती है। इस पर दिखावे के लिए उसके मालिक ने उसका नाम वहीं पर एक सरकारी स्कूल में लिखवा दिया। लेकिन उसे पढ़ने के लिए नहीं भेजा जाता था। वह अक्सर जिद करती कि उसे घर जाना है। शांति, सुशांति और बसंती तीनों बहनों की मां बचपन में ही चल बसी थी। इसी का फायदा उसके पिता ने उठाया। शांति जिद कर जब अपने गांव लौटी और यहीं रहने लगी तो उसके मालिक फिर उसे लेने आ गए। इस बार शांति ने कहा कि अब उसे कहीं काम पर नहीं जाना है। इससे उसके पिता नाराज हो गए और मारपीट पर उतारू हो गए। यह देख कर तीनों बहन अपने मामा के घर चली गईं। वहां तीनों बहन अपनी दास्तां सुनाते हुए फूट-फूट कर रोने लगीं। खबर आशा एनजीओ तक पहुंची। उसने उन बच्चियों को हॉस्टल में रहने के लिए दिया और कोचबांग स्कूल में एडमिशन भी करवा दिया। अब इन तीनो बहनों का कहना है कि वो खुद को आजाद महसूस कर रही हैं।