पेशे से किसान कालीचरन थोड़ी सी जमीन के मालिक थे जो उन्हें अपने पुरखों से विरासत में मिली थी। कालीचरन का एक ही ख्वाब था कि उनके बच्चे खूब पढ़ें और इंजीनियर बनें। और इस ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने थोड़ी थोड़ी करके अपनी सारी जमीन बेच डाली पर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी। इस कहानी में सबसे बड़ी बात रही कि उनके बच्चों ने भी पिता को निराश नहीं किया और दोनों ने पूरी मेहनत जारी रखी। नतीजा ये हुआ की आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बेटी विनीता को 3044 और बेटे सुधीर को 5683 वीं रैंक मिली। अब दोनों बच्चों का सपना है कि वो आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग करें। काउंसिलिंग समाप्त होने के बाद दोनों ने अपनी च्वॉइस लॉक भी कर दी है।

बस यहीं आकर कालीचरण कुछ हताश हो गए थे क्योंकि जमीन थोड़ी बची है और कर्जा पहले ही बहुत हो चुका था। उनके जीवनयापन के लिए भी भाई से मदद लेनी पड़ रही थी। पर कहते हैं कि इरादे मजबूत हों तो रास्ते मिल जाते हैं। सपा नेता डा. संजय लाठर को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने मदद का वादा किया और उसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस बारे में चर्चा की। जिसके बाद अखिलेश यादव ने कालीचरन और उनके बच्चों को आठ जुलाई को मिलने बुलाया है। अब कालीचरन को उम्मीद है कि उनके बच्चों के आगे के रास्ते की मुश्किलें दूर हो सकेंगी। हम भी यही उम्मीद करते हैं।

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