हादसे में एक साथ सदस्यों की मौत के बाद छोड़ दी थी नौकरी

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रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया। बेटी की पढ़ाई के लिए अपने हिस्से की जमीन बेच दी तो अपने भी ताना मारने से नहीं चूके। बेटियों को बनाने के लिए संघर्ष करते हुए घर बेचने की नौबत आ गयी। फिर भी हिम्मत नहीं हारी। बेटियों ने भी पिता के इस संघर्ष को जाया नहीं जाने दिया। एक बेटी ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से सेलेक्शन पाकर एरिया मार्केटिंग हेड बन चुकी है और दूसरी असिस्टेंट प्रोफेसर।

वक्त से मिला दर्द, अब भर गयी झोली

मूलरूप से मऊनाथभंजन जिले के रहने वाले उमाशंकर पांडेय इन दिनो संगम अपार्टमेंट अल्लापुर में रहते हैं। वह टिस्को जमशेदपुर में सुपरवाइजर के पोस्ट पर तैनात थे। उनके एक बेटा और पांच बेटियां थीं। उन पर दु:ख का पहाड़ जमशेदपुर में ही टूटा। घर में आग लगने से इकलौते बेटे के साथ तीन बेटियों को खोना पड़ गया। इस घटना से उन्हें सदमा लगा और वे जिंदा बची दोनो बेटियों अर्चना और शिवांगी पांडेय को लेकर घर लौट आये। पहले उन्होंने अर्चना को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिलाया। अर्चना बताती हैं कि पिता जी कैसे पैसा अरेंज करके हमारे लिए भेजते थे, हम जानते थे। मैं इस पर बोलती तो वह सिर्फ एक सवाल करते थे कि 'तुम्हें भरोसा है न कि पीसीएस निकाल ले जाओगी'। अर्चना का जवाब हां हो जाता तो वह सब भूल जाते। छोटी शिवांगी की पढ़ाई के समय परिवार के हिस्से में मिली जमीन भी बिक गयी। मकान बेचने की नौबत आ गयी। कर्ज लेकर पिता जी ने हमें दिया लेकिन पैसे की कमी नहीं आने दी। पिता के इसी संघर्ष का नतीजा था कि अर्चना ने 2005 में लोअर पीसीएस क्वालीफाई कर लिया और मार्केटिंग इंस्पेक्टर बन गयीं। पिछले साल तक वह इलाहाबाद में ही पोस्टेड रहीं। वर्तमान में उनकी तैनाती एरिया मार्केटिंग इंस्पेक्टर के रूप में मिर्जापुर मंडल में है। उनकी बहन शिवांगी श्रंगवेरपुर में स्थित पीजी कॉलेज में मार्डन हिस्ट्री की असिस्टेंट प्रोफेसर हो चुकी है। इन दिनों पिता बेटी के साथ ही इलाहाबाद में रह रहे हैं।