नारीबारी के किसान सूर्यभान सिंह ने बेटे का करियर बनाने के लिए शुरू की थी पल्लेदारी

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ALLAHABAD: बच्चों का जीवन बनाने के लिए संघर्ष की मिशाल पेश करने वाले एक पिता नारीबारी के सूर्यभान सिंह भी हैं। बेटों का कॅरियर बनाने के लिए उन्होंने हाड़ तोड़ मेहनत की। धानक्रय केन्द्र पर पल्लेदारी करके उन्होंने बेटों के लिए जो सपना देखा, बेटों ने भी उसे साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक बेटा बैंक पीओ तो दूसरा टेक्सटाइल इंजीनियर बन चुका है।

अर्चना से गुजारिश कर ली पल्लेदारी

सूर्यभान का संघर्ष दस साल पहले शुरू हुआ था अर्चना मिश्रा नारीबारी में क्षेत्रीय विपणन अधिकारी बनकर पहुंची थीं। उसी वर्ष 2008 में बड़े बेटे नीरज ने इंटर पास किया था। बेटा इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कानपुर जाना चाहता था। खेती इतनी नहीं थी कि उसका खर्च उठा पाते। एक परिचित से संपर्क के जरिए अर्चना मिश्रा से उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने सूर्यभान को धान क्रय केन्द्र पर पल्लेदारी का काम दिया। बच्चों के कॅरियर के लिए सूर्यभान के संघर्ष को देखकर क्षेत्रीय विपणन अधिकारी अर्चना मिश्रा इतना प्रभावित हुई कि उनकी जहां पर भी पोस्टिंग होती रही उन्होंने सूर्यभान को अपने साथ रखा। दस वर्ष में नारीबारी से लेकर मंझनपुर और वर्तमान में चुनार में धान क्रय केन्द्र में सूर्यभान सिंह पल्लेदारी का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों बेटों का कॅरियर बन गया है लेकिन तब तक पल्लेदारी का काम करना है जब तक सांस चलती रहेगी।

तैयारी के लिए कर्ज भी लिया

पल्लेदारी शुरू की तो इतनी रकम ही मिल पाती थी कि परिवार का खर्च मुश्किल से चल पाता था। बेटे नीरज को कानपुर तैयारी के लिए भेजना था। तब सूर्यभान ने किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लिया। यह सिलसिला छह वर्षो तक चलता रहा। क्योंकि दूसरे बेटे विवेक की भी जिद थी कि उसे भी कानपुर जाना है। उन्होंने विवेक को भी कानपुर भेजा और तैयारी के बाद उसका सलेक्शन भदोही के एक इंस्टीट्यूट में टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में हो गया।