क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:रांची यूनिवर्सिटी हमेशा सुर्खियों में रहती है. आए दिन स्टूडेंट्स यूनियन की मांगों और अधिकारियों के आश्वासनों के बीच विवाद सामने आता रहा है. एक बार फिर यूनिवर्सिटी का विवाद गरमा गया है और मामले की जांच के लिए स्टूडेंट्स वेलफेयर डिपार्टमेंट के पास शिकायत की गई है. रांची यूनिवर्सिटी के एमएससी के स्टूडेंट्स का सेमेस्टर 4 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. लेकिन लेट सेशन के लिए मशहूर हो चुकी रांची यूनिवर्सिटी ने एमएससी सेमेस्टर 4 का रिजल्ट परीक्षा के ठीक अगले ही दिन जारी कर इतिहास रच दिया था. दरअसल, एमएससी की परीक्षा 14 जून को सम्पन्न हुई थी और इसके ठीक अगले दिन 15 जून को इसका रिजल्ट जारी कर दिया गया. परीक्षा में बैठने वाली एक छात्रा को छोड़कर अन्य सभी बच्चे पास कर दिए गए.

पढ़ाई में अव्वल है फेल स्टूडेंट

जिस स्टूडेंट् को फेल किया गया है उसके बारे में जानकारी हासिल करने पर पता चला कि वह पढ़ाई में काफी अव्वल है और उसका रिजल्ट हमेशा ही काफी बेहतर रहा है. ऐसे स्टूडेंट के फेल होने की जानकारी के बाद क्लास के दूसरे स्टूडेंट्स में भी उबाल आ गया है. उन्होंने शिक्षकों द्वारा जांची गई कॉपियों पर सवाल खड़ा कर दिया. स्टूडेंट्स का कहना है कि जो बच्चे हमेशा पढ़ाई में एक या दो सब्जेक्ट में फेल होते रहे हैं उन्हें पास कर दिया गया जबकि एक बेहतरीन स्टूडेंट को फेल कर दिया गया है.

24 घंटे से पहले जांची 121 कापियां

14 जून को परीक्षा खत्म होने के बाद अगले दिन 15 जून को 24 घंटे पूरे होने से पहले ही रिजल्ट जारी कर दिया गया. इन 24 घंटों में 121 कापियों की जांच संपन्न कर दी गयी जो अपने आप में कई सवाल खड़े करने वाले हैं. स्टूडेंट्स में इस बात को लेकर भी काफी असमंजस है कि इतने कम समय में आखिर इतनी सारी कापियां कैसे जांची जा सकती हैं. ठीक से जांच होने पर कई लोगों के द्वारा लापरवाही किए जाने और नियमों का उल्लंघन किये जाने का खुलासा हो सकता है.

स्टूडेंट्स वेलफेयर डिपार्टमेंट का आश्वासन

इस मामले को लेकर विभाग के स्टूडेंट्स वेलफेयर डिपाटमेंट में अपनी फरियाद लेकर पहुंचे. स्टूडेंटस का कहना है कि वहां डॉ. पीके वर्मा ने उन्हें आश्वासन दिया है कि कुछ इंटरनल गड़बड़ी के कारण ऐसा हो गया है, जिसे जल्द ही दूर कर दिया जाएगा.

वर्जन

इंटरनल मा‌र्क्स पोस्ट नहीं होने के कारण रिजल्ट में गड़बड़ी हो गयी है, यह माइनर मामला है, रिजल्ट में रेक्टिफिकेशन कर दिया जाएगा.

डॉ. उदय कुमार, एचओडी, डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी