खाद्य नियामक प्राधिकरण ने मैगी में खतरनाक स्तर तक सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल होने का आरोप लगाते हुए देश भर से इसके पैकेट्स को दुकानों से वापस मंगाने के आदेश दिए हैं. कंपनी ने भी मैगी के इस बैच को बाजारों से वापस मंगाना शुरू कर दिया है. खाद्य सुरक्षा उपायुक्त विजय बहादुर ने मैगी के अगले बैचों के नमूने लेकर उनकी जांच के भी निर्देश दिए हैं.

 

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय प्रताप सिंह ने बताया कि शिकायत के बाद मैगी के कुछ पैकेट बाराबंकी के प्रतिष्ठान ईजी डे से लिए गए थे. इनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद कंपनी को उस बैच की बिक्री रोकने को कहा गया. उनके अनुसार मार्च, 2014 बैच की मैगी में मोनो सोडियम ग्लूटामेट तथा लेड की मात्रा ज्यादा पाई गई थी. मार्च, 2014 के बाद के भी कई बैच के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं पर उनकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है. मुख्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि मार्च, 2014 बैच की मैगी न बिकने पाए, इसके लिए भी टीमें लगा दी गई हैं. मैगी के पैकेट्स की स्वतंत्र जांच कंपनी से भी जांच कराने के की बात की जा रही है.

हालाकि कंपनी के प्रवक्ता ने भी माना कि उत्तर प्रदेश में माल को वापस लेने के आदेश दे दिए गए हैं. कई स्टोर से उस बैच की मैगी वापस भी मंगा ली गई है और प्रयास किया जा रहा है कि इसकी बिक्री न होने पाए. दूसरी ओर मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले ने इस आरोप पर हैरानी जताते हुए कहा है कि वह मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल नहीं मिलाते हैं. सूत्रों के मुताबिक मैगी में प्रति दस लाख 17वां भाग सीसा पाया गया है. इसकी अनुमति प्राप्त सीमा 0.01 है. इसपर नेस्ले का कहना है कि मैगी में सीसा की मात्रा नगण्य है और निर्धारित 1 फीसदी से भी कम है. आपको बता दें कि मैगी में इस रसायन की मौजूदगी स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकती है.

लेड व मोनो सोडियम ग्लूटामेट का असर

यदि आप के शरीर में अधिक मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट केमिकल और सीसा जाते हैं तो पेट में दर्द शुरू हो जाता है. खून बनना कम और बंद तक हो सकता है. बच्चों  का मानसिक विकास होना घट जाता है और बोन मैरो की भी दिक्कत हो सकती है. इससे पेट में कैंसर भी हो सकता है.

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