-सरकारी योजना के तहत बांटे जाने वाले कंडोम में आई कमी

-स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी का दावा, पर्याप्त मात्रा में है कंडोम का स्टॉक

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DEHRADUN : देश के बाकी राज्यों की तर्ज पर राज्य में एचआईवी का खतरा बढ़ सकता है। इसकी प्रमुख वजह सरकारी योजना के तहत बांटे जाने वाले कंडोम पड़ गए हैं, जिसके कारण सप्लाई बंद पड़ने के आसार हैं। हालांकि इस बावत स्वास्थ्य महकमे ने दावा किया है कि फिलवक्त राज्यों में कंडोम के स्टॉक प्रभावित नहीं होगा। एनजीओ की डिमांड के आधार पर सप्लाई जारी है।

कई राज्यों में बताई गई है यह दिक्कत

दरअसल, देशभर के तमाम राज्यों में कंडोम सप्लाई करने वाले एजेंसी ने कई राज्यों के एसएसीएस (स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी) को पत्र लिखकर अवगत कराया कि सरकारी योजना के तहत बांटे जाने वाले कंडोम कम पड़ गए हैं। मीडिया की खबरों के मुताबिक थर्सडे को केंद्रीय हेल्थ मिनिस्ट्री के सेक्रेट्री ने नाको के अधिकारी से इस बावत बातचीत की। हेल्थ सेक्रेट्री ने बताया कि सरकार इस समस्या से निकलने का प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि जिन राज्यों में एचआईवी से बचाव हेतु कंडोम की सप्लाई प्रभावित हुई हैं, उसमें हरियाणा, एमपी, यूपी, आंध प्रदेश, राजस्थान क अलावा उत्तराखंड भी शामिल है।

राज्य के पास पर्याप्त मात्रा में स्टॉक

इस बारे में प्रदेश के हेल्थ महकमे का दावा है कि उनके पास न तो किसी प्रकार का कोई पत्र अब तक हासिल हो पाया है और न ही कंडोम के स्टॉक में कोई कमी है। एक लाख तक के कंडोम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के पास मौजूद हैं। राज्यभर से आनी वाली डिमांड के मुताबिक एनजीओ को सप्लाई की जा रही है। एडिशनल डायरेक्टर व एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक डा। आरके पांडे के अनुसार उनके पास कंडोम की पर्याप्त मात्रा मौजूद हैं। इसलिए सप्लाई भी प्रभावित है तो राज्य में फिलवक्त कोई दिक्कत नहीं आएगी।

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उत्तराखंड में .ख्ख् परसेंट प्रिविलेज

यूएन के मुताबिक भारत एड्स के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है, जबकि देश में क्00 लोगों पर .ख्7 परसेंट और उत्तराखंड में .ख्ख् प्रिविलेज है। हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार उत्तराखंड में ख्0क्क् के जनगणना के मुताबिक आंशिक तौर एचआईवी पीडि़तों को प्रिविलेज बढ़ा है।

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क्900 ले रहे हैं ट्रीटमेंट

स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के मुताबिक करीब क्900 एचआईवी पीडि़त ट्रीटमेंट ले रहे हैं। जबकि शुरू से लेकर अब तक प्रदेश में करीब भ्,000 लोग एचआईवी पीडि़त हैं। हालांकि डिपार्टमेंट का खुद मानना है कि इन पांच हजार के आंकड़ों में कुछ घटोत्तरी व बढ़ोतरी भी हो सकती है।

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इसकी कोई जानकारी नहीं है। न ही कोई पत्र एजेंसी व केंद्र सरकार से हासिल हुआ है। अगर ऐसी शिकायत है तो उस पर अधिकारियों से बातचीत की जाएगी।

-डा। जीएस जोशी, डीजी हेल्थ

हमारे पर कोई सप्लाई प्रभावित नहीं हुई है। केंद्र व सप्लाई करने वाली एजेंसी का कोई पत्र नहीं मिला है। फिलहाल एक लाख से अधिक स्टॉक हमारे पास मौजूद है।

-डा। आरके पांडे, एडी व प्रोजेक्ट डायरेक्टर