PATNA : बीते वर्ष की तुलना में पटना यूनिवर्सिटी में एकाएक फीस वृद्धि से छात्रों की जेब पर असर पड़ने वाला है। लेकिन तथ्य यह है कि इसका संबंध छात्रों से होने के बाद भी इसकी औपचारिक सूचना छात्रों को नहीं मिली। जब यह जानकारी एक छात्र से कई छात्र एवं समूह को मिली तो इसके बारे में छात्र और फिर छात्र नेता हरकत में आए। छात्रों का कहना है कि समस्या फीस वृद्धि से कहीं अधिक यूनिवर्सिटी का लचर रवैया है। क्योंकि फीस बढ़ जाने के बाद भी यहां के तमाम छात्र मौलिक सुविधाओं जैसे पीने के पानी, शौचालय और लैब के सामानों के लिए तरस रहे हैं।

तीनों स्ट्रीम की फीस बढ़ी

साइंस, आ‌र्ट्स और कॉमर्स तीनों ही स्ट्रीम में पढ़ाई का खर्च बढ़ गया है। विशेष तौर पर साइंस के छात्रों के लिए यह दोगुनी हो गई है। उदाहरण के लिए पहले पीजी जूलॉजी में करीब तीन हजार थी वह 6620 रुपए हो गया है। इसी प्रकार पीजी मैथ में 4620 रुपए, कैमेस्ट्री में 5620 रुपए हो गया है। आइसा के पटना यूनिवर्सिटी प्रारी रामजी यादव ने कहा कि इसे विश्वविद्यालय प्रशासन को वापस लेना होगा।

एकतरफा पडे़गा मार

फीस वृद्धि का एकतरफा मार पड़ने वाला है। एकतरफा वृद्धि से अर्थ सवर्ण और पिछड़ी जातियों पर बोझ पड़ने से है। इस बारे में छात्र नेता लव कुमार ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा छात्राओं एवं दलितों व महादलितों की फीस माफ कर दिया गया है और फीस का अतिरिक्त बोझ सवर्ण एवं पिछड़े जातियों के छात्रों पर डाल दिया गया है। यह गलत है। विश्वविद्यालय इस फैसले पर पुनर्विचार करे।