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सगी बहनों के सपने बड़े, सुविधाएं बन रही हैं रोड़ा

रेसलिंग की प्रैक्टिस के लिए भी अखाड़े में माहौल नहीं, घर के गद्दे पर ही करती हैं प्रैक्टिस

dhruva.shankar@inext.co.in

ALLAHABAD: आमिर खान की मूवी दंगल ने बाक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है। रेसलिंग पर बेस्ड स्टोरी में बहनों का स्ट्रगल और एक पिता का अपने सपने के पीछे भागना दिखाया गया है। लेकिन, रीयल लाइफ में इस स्टोरी का सच तलाशने पर स्थिति बेहद चौंकाने वाली मिली। यहां भी सगी बहनो के सपने बेहद बड़े हैं। जोश और जज्बे की कोई कमी नहीं है। लेकिन, न तो मूवी जैसा पिता का सहयोग है और न सिस्टम का। मां जरूर पीछे खड़ी हैं। वह दोनों के सपनो में रंग तो भरती हैं लेकिन, इस सच से भी इंकार नहीं करती कि बेटियों को दूसरे घर जाना है।

मंडल स्तर पर खेल चुकी हैं दोनो

यह कहानी है सहसों के समीप स्थित ईसीपुर गांव की रहने वाली सगी बहन शिवानी और शिवांगी की। एक दसवीं और दूसरी नवीं की छात्रा है। चचेरी बहनों विनीता और अनीता से प्रेरित होकर दोनों में स्पो‌र्ट्स में कॅरियर बनाने का सपना देखा। अनीता एथलेटिक्स में नेशनल और विनीता स्टेट खेल चुकी है। इन दोनों की कामयाबी से प्रेरित होकर चाची सविता देवी ने अपनी बेटियों को उन्हें प्रैक्टिस के लिए सौंप दिया। तब विनीता क्रीड़ाश्री के तहत गांव में प्रशिक्षण देती थी तो सुविधाएं थोड़ी बहुत मिल जाती थी। गांव के पास अखाड़ा बनाने का इंतेजाम हुआ तो वहां इतने लोग पहुंचने लगे की सुरक्षा खतरे में पड़ने की संभावना हो गई। इससे यहां चैप्टर क्लोज हो गया।

कोच ने दिया सहारा

विनीता के जरिए ही शिवानी और शिवांगी की मुलाकात जिला कुश्ती संघ के अध्यक्ष मुकेश यादव से हुई। उन्होंने दोनों बच्चों को ट्रेनिंग देन का फैसला लिया। इसके लिए दोनों बहनें करीब सात किलोमीटर का सफर तय करके झूंसी रेलवे स्टेशन के पास स्थित अखाड़े में आती थीं। यहां भी प्रैक्टिस मैट नहीं है। जमीन पर दोनों ने कुछ दिन प्रैक्टिस की। लेकिन, रेसलर की ड्रेस के प्रति दर्शकों का ज्यादा झुकाव देखकर उन्होंने प्रैक्टिस का समय सीमित कर दिया। मुकेश जी के प्रयासों से ही दोनों को मंडल स्तर की प्रतियोगिता में खेलने का मौका मिला। इसमें शिवानी को दूसरा और शिवांगी तो तीसरा स्थान भी मिला था।

डाइट का कैसे रखें ध्यान

आई नेक्स्ट से बातचीत में दोनों ने बताया कि पिता स्कूल की बस चलाते हैं और मां खेती करती हैं। इससे इतना ही पैसा आता है कि दो वक्त की रोटी का इंतेजाम हो जाए। अब डाइट कहां से मेंटेन होगी। उन्होंने बताया कि पिता क्षमता भर का ही सपोर्ट कर पाते हैं। आने-जाने का खर्च दे देते हैं लेकिन साथ नहीं जाते। चचेरी बहन विनीता ही साथ लेकर जाती थी। लेकिन, उसकी अब शादी हो चुकी है तो इसमें भी दिक्कत आने लगी है।

चचेरी बहन निभा रही कोच की भूमिका

परिवार के विरोध और आर्थिक तंगी के बावजूद चचेरी बहनों को विनीता कुशवाहा जैसी कोच मिली है। जो खुद लांग जम्प और ट्रिपल जम्प की स्टेट लेवल की खिलाड़ी रह चुकी हैं। खास बात यह है कि उसने सिर्फ बीस दिन रेसलिंग की है और वह उनकी चचेरी बहन भी है। पूरा परिवार साथ रहता है। अब दोनों की प्रैक्टिस तभी हो पाती है जब घर के काम से मौका मिले। प्रैक्टिस भी ये कच्चे मकान के एक कमरे में बिस्तर पर बिछाए जाने वाले गद्दे को बिछाकर करती हैं।

महिला रेसलर के लिए माहौल नहीं है, इसमें कोई संदेह नहीं है। खिलाड़ी तो हैं लेकिन सरकार से सुविधाएं भी जरूरत के अनुसार नहीं मिलती। हमसे जितनी संभव हो पाती है मदद कर देते हैं।

मुकेश यादव

अध्यक्ष, जिला कुश्ती संघ

हम भी चाहते हैं इस खेल में देश का नाम रौशन करना। मौका और सही मंच मिले तो हम यह कर दिखाएंगे। सुविधाएं नहीं हैं फिर भी घर में प्रैक्टिस करते हैं। राह चलते लोगों के कमेंट परेशान करते हैं।

शिवांगी-शिवानी कुशवाहा

रेसलर

हमसे जितना हो सकती थी मदद की। अब शादी हो चुकी है। सरकार से क्रीड़ाश्री की नियुक्ति निरस्त हो चुकी है। इसी के चलते खुद के कॅरियर से समझौता करना पड़ गया।

विनीता कुशवाहा

एथलेक्टिस प्लेयर व घरेलू कोच

हम तो चाहते हैं कि बच्चियां आगे बढ़ें। लेकिन, लड़कियां हैं, डर लगता है घर से बाहर भेजते हुए। जब तक शादी ब्याह नहीं हो जाता पूरी मदद करेंगे।

सविता देवी

मां, शिवानी-शिवांगी

बाक्स

क्या है क्रीड़ा श्री योजना

इस योजना का संचालन विकास भवन के अंडर में किया जाता है। यह योजना गावों में खिलाड़ी तैयार करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत गांव के एक प्लेयर को चुना जाता है जो बाकी बच्चों को खेल के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें कोचिंग देता है। इसके तहत उसे एक फिक्स मनी स्टाइपेंड के रूप में दी जाती है। जिससे वह खेल के जरूरी संसाधन भी जुटाता है।