- पुराने फाउंडेशन पर नहीं, नई जमीन पर बनेगा फर्टिलाइजर

- ग्रीन बेल्ट में कैद रहेगा फर्टिलाइजर

- 215 एकड़ में फर्टिलाइजर और 90 एकड़ में होगा ग्रीन बेल्ट

GORAKHPUR: 22 जुलाई को शिलान्यास के बाद जब गोरखपुर में फर्टिलाइजर बनकर तैयार होगा तो यहां एक नहीं, बल्कि दो-दो फैक्ट्रियां नजर आएंगी। नई फैक्ट्री फर्टिलाइजर जीएम ऑफिस के पीछे 100 मीटर दूरी पर होगी। पुरानी फैक्ट्री जहां थी, वही रहेगी। नई फैक्ट्री होगी तो पुरानी फैक्ट्री से छोटी लेकिन यह उसके तीन गुना उत्पादन करेगी। साथ ही पर्यावरण बचाने के लिए ग्रीन बेल्ट भी होगा। नई फर्टिलाइजर फैक्ट्री 215 एकड़ में होगी वहीं ग्रीन बेल्ट 90 एकड़ में फैला होगा।

ऐसी थी पुरानी फैक्ट्री

- 950 टन प्रतिदिन उत्पादन

- 993.75 एकड़ पूरा एरिया

- 400 एकड़ में फैक्ट्री

- 50 एकड़ में ग्रीन बेल्ट

- 547 एकड़ में आवासीय एरिया

- नेफ्टा कोल बेस विधि से बनती थी खाद

- ईधन और कार्बन के लिए कोयले का उपयोग

- खाद बनाने के लिए हवा से लेते थे नाइट्रोजन

ऐसी होगी नइर् फैक्ट्री

- 3850 टन प्रतिदिन उत्पादन

- 993.75 एकड़ में पूरा एरिया

- 215 एकड़ में फैक्ट्री

- 90 एकड़ में ग्रीन बेल्ट

- 95 एकड़ में ऑफिसियल बिल्डिंग्स

- प्राकृतिक गैस विधि से बनाई जाएगी खाद

- जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन

- आधुनिक उपकरण से लैस होगा फर्टिलाइजर

1990 में बंद हो गया उत्पादन

गोरखपुर खाद कारखाना, भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड (एफसीआईएल) की देश की पांच यूनिटों में से एक थी। इसका उद्घाटन 20 अप्रैल 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। उस समय 2400 कर्मचारी काम करते थे। एक पूर्व कर्मचारी राजेश पांडेय ने बताया कि 10 जून 1990 में फर्टिलाइजर के अमोनिया गैस प्लांट में रिसाव हुआ और गैस लीकेज हो गई। इसमें जेई पद पर तैनात मेद्यनाथ सिंह की मौत हो गई। उसके बाद फर्टिलाइजर के स्थानीय कर्मचारी यूनियन ने आंदोलन शुरू कर दिया। आंदोलन को लोगों ने सीधे 1984 में हुए भोपाल गैस त्रासदी से जोड़ दिया और मांग करने लगे कि जब तक फैक्ट्री के अंदर की सभी पाइप लाइन बदल नहीं दी जाती, तब तक फर्टिलाइजर नहीं चलेगा। इस आंदोलन का साथ आस-पास के ग्रामीणों ने भी दिया और आंदोलन बड़ा होता गया। 1990 में ही फर्टिलाइजर बंद हो गया। हालांकि कागज में यह लगातार चलता रहा।

छह प्रधानमंत्रियों ने किया वादा

धीरे-धीरे फर्टिलाइजर कागज पर भी बंद हो गया। बंद होने के बाद लोगों को इसकी कमी खलने लगी और धीरे-धीरे यह एक बड़ा मुद्दा बन गया। इस बीच जब भी चुनाव आता, इसे चालू कराने का वादा विभिन्न नेता करते। अब तक छह प्रधानमंत्रियों ने इसे चलाने का वादा किया। सातवें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा 24 जनवरी 2014 को मानबेला में हुई। उन्होंने मंच से वादा किया कि फर्टिलाइजर खुलेगा। मई 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बन गए। इसके बाद से ही लोग काउंट डाउन करने लगे थे।

नए फर्टिलाइजर का सफरनामा

27 अप्रैल 2015 को नीति आयोग की समिति गठित की गई और गोरखपुर खाद कारखाने के लिए 26 अगस्त 2015 को रिक्वेस्ट आफ क्वालिफिकेशन, 17 सितम्बर 2015 को इन्टेस्ट आफ एक्सप्रेशन और 8 सितम्बर को पूर्व बोली सम्मेलन आयोजित किया, लेकिन केवल एक ही आवेदक नहीं आने के कारण बोली रद्द कर दी गई। इसी साल मई माह में फर्टिलाइजर चलाने की मंजूरी मिल गई और पीएम ने शिलान्यास का समय दे दिया। अब पीएम 22 जुलाई को शिलान्यास करने आ रहे हैं।