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50 फीसदी तक प्रभावित हुई सिनेमा हॉल में पब्लिक की उपस्थिति

02 सिनेमा हाल कैंसिल कर चुके शाम और रात का शो

थियेटर में बंद रहना नहीं खुली सड़क पर घूमना पसंद कर रही पब्लिक

दधिकांदो और रामदल निकालने की परंपरा का लुत्फ उठा रही पब्लिक

prakashmani.tripathi@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद की इस परंपरा में यूनीकनेस के साथ फ्रेशनेस है। साल के सिर्फ दस दिनों में इसे एंज्वॉय किया जा सकता है। बंद कमरे की जगह खुली हवा में सांस लेते हुए घूमने-फिरने का मौका होता है। यहां तीन घंटे नहीं शाम से लेकर आधी रात तक का एंज्वॉयमेंट मिलता है वह भी फ्री ऑफ कास्ट। मूवी तो कभी भी देखी जा सकती है। इसे मिस कर दिया तो दोबारा चांस मिले न मिले। इस सोच ने नवरात्र के सीजन में मूवी हॉल से पब्लिक की दूरी बढ़ा दी है। बिजनेस 50 फीसदी तक डाउनफाल पर चला गया है। स्थिति यह है कि रामदल निकलने वाले दिन शाम और रात के शो संबंधित एरिया के सिंगल स्क्रीन सिनेमाहालों को बंद करना पड़ रहा है।

दशहरा सेलीब्रेशन का सीधा असर

फेस्टिवल सीजन में आम तौर पर सिनेमा हॉल का मार्केट अप होता है। लगभग सभी शो फुल जाते हैं। पब्लिक की डिमांड को देखते हुए सिनेमा हॉल संचालक मूवीज की वेराइटी भी चलाते हैं। पब्लिक के क्रेज के चलते ही इलाहाबाद में सिनेमा हाल का क्रेज बढ़ा। पीवीआर और स्टार व‌र्ल्ड जैसे मल्टी स्क्रीन सिनेमा हाल की दस्तक हुई। लेकिन, यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। दूसरा पहलू यह है कि नवरात्र शुरू होने से लेकर भरत मिलाप के आयोजन तक सिनेमा हाल को दर्शक बमुश्किल ही मिलते हैं। आई नेक्स्ट के पूछने पर कई सिनेमा हाल प्रबंधकों ने कहा कि यहां दशहरे के दौरान शाम और रात के शो में कई बार दर्जन भर लोग भी नहीं होते। ओवरआल बिजनेस 50 फीसदी तक प्रभावित हो जाता है।

सभी-शो का है यही हाल

ऐसा नहीं कि दशहरा के दौरान सिर्फ इवनिंग और नाइट शो में ही दर्शकों की कमी होती है। यह स्थित सिनेमा हॉल में चलने वाले सभी शो में दिखाई देती है। द-पैलेस सिनेमा हॉल के मैनेजर ललित श्रीवास्तव बताते हैं कि सिविल लाइंस के दल के दिन तो शाम और रात के शो को पूरी तरह से कैंसिल करना पड़ गया था। क्योकि, सिनेमा हॉल में दर्शक ही नहीं थे। लोग हॉल में फिल्म देखने से ज्यादा फैमली के साथ दुर्गा पूजा और रामदल देखना पसंद करते हैं। शाम और रात के शो के साथ ही दिन के शो पर भी इसका असर दिखाई देता है। जो लोग रात में रामदल और दुर्गा पूजा देखने जाते हैं, वे भी दिन में शो देखने नहीं पहुंचते। जिससे दिन के शो पर काफी असर पड़ता है।

इलाहाबाद के दशहरा के स्पेशल फीचर्स

रामदल: यह दल हर उस मोहल्ले में निकाला जाता है जहां दधिकांदो दल नहीं निकलते। दधिकांदो दल कृष्ण जन्माष्टमी के बाद निकाले जाते हैं।

रावण बारात: भारद्वाज ऋषि का आश्रम कटरा एरिया में स्थित होने के चलते इस एरिया में रामलीला की शुरुआत से पहले रावण दल निकालने की परंपरा है। यह आयोजन सिर्फ इलाहाबाद में होता है

रामलीला: लाइट एंड साउंड इफेक्ट के साथ रामलीला की रोमांचक प्रस्तुति भी लोगों को बांधती है।

पंडाल: पंडालों में मूर्तियों को स्थापित किए जाने की भी परंपरा यहां है। आकर्षक पंडालों में षष्ठी के दिन प्रतिमाओं की स्थापना हो जाती है। शाम को पब्लिक इन स्थानों पर जाना पसंद करती है

भरत मिलाप: पथरचट्टी और पजावा रामलीलाओं का आयोजन भरत मिलाप भी पब्लिक को बेहद आकर्षक लगता है।

प्री-दशहरा वीक में 30 से 40 प्रतिशत तक बिजनेस खत्म हो जाता है। सिविल लाइंस के दल के दिन तो शाम के दोनों शो को कैंसिल करना पड़ गया था।

ललित श्रीवास्तव

मैनेजर, द पैलेस

अभी दुर्गा पूजा का समय चल रहा है। लोग दुर्गा पूजा देखने और दशहरा घूमना अधिक पंसद कर रहे हैं। दशहरा के पूरे दस दिनों तक बिजनेस काफी कम हो जाता है।

डीपी जयसवाल, प्रोपराइटर चन्द्रलोक