RANCHI : करम गीत, मांदर की थाप और इसमें थिरकते युवक-युवतियों की टोली। मौका था गुरुवार को रांची यूनिवर्सिटी के दीक्षांत मंडप में करम पूर्व संध्या समारोह का। सरना नवयुवक संघ द्वारा आयोजित इस समारोह में रांची की विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों की टीमों ने कुड़ूख, मुंडारी, संथाली, नागपुरी और खडि़या भाषा के गीतों पर ग्रुप डांस पेश किया। ट्रेडिशनल ट्राइबल ड्रेस में सजी युवक-युवतियों की टोली ने सरना प्रार्थना के बाद मांदर की थाप पर डांस करना शुरू किया तो लोगों के पांव जहां थे वहीं थिरकने लगे। इस प्रोग्राम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए। शुक्रवार को पूरे स्टेट में झारखंड का प्रकृति पर्व करमा सेलिब्रेट किया जाएगा। इस पर्व में झारखंड के परंपरागत गीत-संगीत पर लोग झूमते हैं। अगर बात रांची सिटी की जाए तो यहां पर शुक्रवार को अलग-अलग सरना समितियों द्वारा विभिन्न जगहों पर करमा पर्व मनाया जाएगा।

मांदर, नगाड़ा और झांझर के साथ झूमते रहे लोग

सरना आदिवासी बालिका छात्रावास की टीम ने जब कुड़ूख भाषा में ग्रुप डांस पेश किया तो दीक्षांत मंडप में लाल और हरी पाड़ी साड़ी में संजी युवतियों के साथ ही पूरा मंडप करमा उत्सव के उल्लास में रंगा हुआ नजर आने लगा। इस प्रोग्राम का समापन सरना नवयुवक संघ रांची के सामूहिक डांस से समाप्त हुआ।

जैक सभागार में में भी करमा पूजा

गुरुवार को जैक में भी करमा पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने शिरकत की। इस समारोह में जैक अध्यक्ष आनंद भूषण भी माैजूद थे।

आज भी रहेगी करमा की धूम

रांची यूनिवर्सिटी के डॉ रामदयाल मुंडा अखरा मोरहाबादी में शुक्रवार को सुबह क्क् बजे करम महोत्सव की धूम रहेगी, जिसमें झारखंड के जानेमाने संस्कृतिकर्मियों के साथ ही शिक्षाविद और स्टूडेंट करम पर्व के गीत-संगीत समारोह में शिरकत करेंगे। इसके साथ ही सरना संघ मोरहाबादी और चडरी सरना समिति में भी कल्चरल प्रोग्राम का आयोजन होगा। इसके अलावा लगभग एक दर्जन जगहों पर भी करम पर्व को अखरा में सेलिब्रेट किया जाएगा।

क्या है करमा

करमा पर्व झारखंड प्रकृति से जुड़ा पर्व है, जिसे झारखंड में भादो शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन अखड़ा में करमा पेड़ की तीन डालियों को पवित्रता पूर्वक गाड़कर उसकी पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन कोटवार द्वारा समुदाय के लोगों को करम कथा सुनने के लिए बुलाया जाता है। इस दिन करमा दउरा या थाली में पूजन सामाग्री को तेल, सिंदूर, धूप-हवन, खीरा, चीउड़ा, जावा फूल, अरवा चावल, दूध, फल, फूल को सजाकर दउरा में दीपक जलाते हुए अखड़ा में लाते हैं। इस दिन युवक और युवतियां करमा पेड़ के किनारे करमा के गानों पर थिरकते हैं। करमा पूजा के कई चरण होते हैं, जिसमें करमा के लिए जावा उठाना, करम काटने जाते समय पूजन करना, करमा डाल को अखड़ा में गाड़ते समय प्रार्थना करना, पाहन द्वारा करम पूजा करना शामिल है। करम कहानी सुनने से पहले एक मुर्गे की बलि भी दी जाती है।