- शहर में भी बुखार से पीडि़त हजारों बच्चे पहुंच रहे हैं हॉस्पिटल

- शहर में फैली गंदगी और दूषित पानी की सप्लाई बन नही मेन वजह

<- शहर में भी बुखार से पीडि़त हजारों बच्चे पहुंच रहे हैं हॉस्पिटल

- शहर में फैली गंदगी और दूषित पानी की सप्लाई बन नही मेन वजह

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: मियादी बुखार से पीडि़त बच्चे गांव में ही नहीं शहर में भी हैं। मौसम की बेरुखी, गंदगी और दूषित पानी की सप्लाई उन पर कहर बनकर टूट रही है। हॉस्पिटल्स में लगातार बढ़ रही मरीजों की भीड़ इसका जीता-जागता उदाहरण है। हालात यह हैं कि एक बार बुखार की चपेट में आने के बाद बच्चों को ठीक होने में हफ्तों लग रहे हैं, जो कि आने वाले खतरे की ओर इशारा कर रहा है।

बुखार है कि छोड़ता नहीं

वर्तमान में बेली, कॉल्विन सहित चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में रोजाना भ्0 फीसदी से अधिक बुखार से पीडि़त बच्चे पहुंच रहे हैं। इनमें से कई ऐसे मामले हैं जिनमें दस से पंद्रह दिन बीत जाने के बावजूद बुखार ने पीछा नहीं छोड़ा है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका सबसे बड़ा कारण मौसम, चारों ओर फैला कूड़ा, गंदगी और दूषित पानी की सप्लाई है। आमतौर पर वायरल फीवर छह से सात दिनों तक ठहरता है लेकिन अब यह दस से पंद्रह दिनों से पहले ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है। इसके पीछे ये तीनों कारण अहम हैं।

इसलिए बन जाता है दिमागी बुखार

अगर बुखार लंबे समय तक ठहर जाए तो यह दिमागी बुखार में बदल जाता है। ऐसे में उल्टी, चक्कर आना, बेहोशी के साथ मरीज कोमा में चला जाता है। कुछ ऐसा ही कोरांव और मांडा के गांव में भी देखने में आ रहा है। लंबे समय से चले आ रहे बुखार का इलाज नहीं होने पर अब तक आठ बच्चों की मौत हो चुकी है। उधर करसिया गांव में दो अन्य बच्चों की भी मौत का मामला भी सामने आया है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के एचओडी डॉ। डीके सिंह कहते हैं कि हॉस्पिटल में रोजाना दिमागी बुखार एक या दो केस आ रहे हैं। उनकी हिस्ट्री भी इसी ओर इशारा कर रही है।

डायरिया, पीलिया और टाइफाइड में भी बढ़ोतरी

बुखार के अलावा वर्तमान में डायरिया, पीलिया, पेट दर्द और टाइफाइड के मामले भी बढ़े हैं। बड़ी संख्या में बच्चों को इन बीमारियों ने अपना शिकार बनाया है। अकेले चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में ऐसे मरीजों की खासी संख्या पहुंच रही है। बेली हॉस्पिटल के सीएमएस और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। यूसी द्विवेदी कहते हैं कि पैरेंट्स भी लापरवाह होते जा रहे हैं। मौसमी बुखार समझकर वह बच्चों का इलाज नहीं कराते जो खतरनाक साबित होता जा रहा है। उन्होंने बच्चों के खानपान पर भी ध्यान देने पर जोर दिया है।

बुखार से कैसे करें बचाव

- साफ पानी और खाने का सेवन करें

- घर के अंदर और आसपास गंदगी न फैलने दें

- पानी को उबालकर और छानकर उपयोग करें

- बच्चों को कुपोषण से बचाएं, उन्हें पारंपरिक खानपान दें

- बुखार के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें