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cancer day

- हर साल करीब दो हजार मरीज पहुंचते हैं बीआरडी मेडिकल कॉलेज

- पूरे प्रदेश में अभी सिर्फ एसजीपीजीआई में ही है रेडियो आइसोटोप थेरेपी की सुविधा

GORAKHPUR: कैंसर का नाम सुनते ही पेशेंट ही नहीं, उसके घर, नाते-रिश्तेदार सब घबरा जाते हैं। इस रोग में इलाज के साथ धैर्य की जरूरत होती है। मेडिकल तकनीक लगातार विकसित हो रही है और अब कैंसर रोगियों का भी समुचित ढंग से इलाज संभव हो रहा है। ऐसे में जरूरत है इस रोग को पहचानने की और प्राइमरी स्टेज में ही डॉक्टर से परामर्श लेने की। कैंसर डे के एक दिन पहले शुक्रवार को आई नेक्स्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कैंसर डिपार्टमेंट के हेड डॉ। एम.क्यू.बेग से बात की। इस दौरान मिली जानकारी आपके लिए बड़े काम की हो सकती है।

जैसा कैंसर, वैसा इलाज

कैंसर से कोशिकाएं पूरी तरह से डैमेज होने लगती हैं। आयोडिन (131) का प्रयोग थायरॉयड कैंसर में, एमआईजीबी का प्रयोग न्यूरोब्लास्टोमा कैंसर में और ल्यूटियन (177) का प्रयोग न्यूरोइंडोक्राइन कैंसर में किया जाता है। वहीं जब कैंसर हड्डियों में कई जगह फैल जाता है तो इंट्रोसियम (89) का प्रयोग किया जाता है। (रेडियोएक्टिव मैटेरियल) इंजेक्शन के माध्यम से शरीर के कैंसर वाले पार्ट में जाकर रेडिएशन दिया जाता है। जिसके माध्यम से कैंसर रोगियों का अच्छे तरीके से उपचार किया जाता है।

रेडियो आइसोटोप थेरेपी

रेडियो आइसोटोप विधि आने वाले दिनों में कैंसर रोग के इलाज में कारगर विधि साबित होगी। जो कि टेलीथेरेपी व ब्रैकीथेरेपी से होने वाले साइडइफेक्ट को बिल्कुल खत्म कर देगी। रेडियो आइसोटोप थेरेपी में दवा के माध्यम से विकिरण करने वाले पदार्थ कैंसर प्रभावित अंगों तक पहुंचाए जाते हैं। जिससे सामान्य कोशिकाएं प्रभावित नहीं होती हैं। न्यूक्लियर मेडिसिन के सहयोग से मरीज के कैंसर वाले पार्ट का इलाज होता है। हालांकि इस दौरान मरीज के शरीर से रेडिएशन निकलता है इसलिए उन्हें अलग आइसुलेशन वार्ड में रखा जाता है। हालांकि अभी इस तरह की सुविधा पूरे प्रदेश में सिर्फ एसजीपीजीआई में उपलब्ध है।

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इतने तरह के कैंसर

- थाइराइड का कैंसर

- शरीर के विभाग हड्डियों में होने वाले कैंसर

- न्यूरोब्लास्टोमा नामक कैंसर

- हिपैटोब्लास्टामा कैंसर आदि

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बीआरडी में भर्ती होने वाले मरीज

वर्ष रोगियों की संख्या

2013 1726

2014 2312

2015 2801

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