-दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद वेबसाइट पर लगी फीफा के प्रसारण पर रोक

-नेट पर न आने से टीवी पर मैच देखने को मजबूर फुटबाल प्रेमी

GORAKHPUR: फुटबाल के महाकुंभ फीफा के खुमार ने अब घर में कलह कराना शुरू कर दिया है। इस कलह से सबसे अधिक परेशान वर्किग यूथ हैं। एक ओर फुटबाल प्रेम उन्हें लेट नाइट तक टीवी से चिपके रहने पर मजबूर कर रहा है तो दूसरी ओर इसका इफेक्ट घर में छोटी-छोटी बातों पर कलह के रूप में दिख रहा है। असल में यह इफेक्ट दिल्ली हाईकोर्ट का फीफा पर आए आदेश का है। दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब ब्00 वेबसाइट पर फीफा के प्रसारण पर रोक लगा दी है। इससे इंटरनेट पर फुटबाल का लुत्फ उठाने वाले यूथ परेशान हैं। पिछले सालों में वेबसाइट पर प्रसारण होने से यूथ अपनी जॉब के साथ फीफा का लुत्फ उठा लेते थे। इससे न तो उनकी रूटीन लाइफ डिस्टर्ब होती थी और न ही उन्हें एक्स्ट्रा टाइम एक्सपेंड करना पड़ता था। मगर इस बार यूथ को फीफा का मजा लेने के लिए लेट नाइट तक मशक्कत करनी पड़ रही है।

सिटी में है फुटबाल का क्रेज

फीफा में इंडिया भले पार्टिसिपेट नहीं करता, मगर देश में फुटबाल प्रेम कम नहीं है। इसका नजारा गोरखपुर में भी नजर आता है। जहां इंडिया में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले गेम क्रिकेट के एक दर्जन क्लब हैं वहीं फुटबाल के अकेले फ्ख् से अधिक क्लब हैं। सिटी में खिलाडि़यों के साथ फैंस की संख्या भी कई गुना अधिक हैं। तभी फीफा का क्रेज भी सिटी में देखने को मिलता है। फुटबाल के सबसे अधिक प्रेमी यूथ हैं। फुटबाल के हर मैच का लुत्फ गोरखपुराइट्स उठाते हैं। जिसका अंदाजा मैच के नेक्स्ट डे ग्राउंड पर होने वाली प्रैक्टिस में देखने को मिलता है। जहां न सिर्फ मैच की चर्चा होती है बल्कि खिलाड़ी टीवी पर देखी किक भी लगाने की कोशिश करते हैं।

लेट नाइट टीवी देखना करा रहा झगड़ा

फुटबाल के दीवाने रात में डेढ़ बजे से फीफा का मैच आने के बावजूद टीवी पर देखना नहीं भूलते। नाम न छापने की शर्त पर एक फुटबाल प्रेमी ने बताया कि रात में टीवी देखने को लेकर आए दिन घर में झगड़ा हो रहा है। पिछले सालों में ऐसा नहीं होता था क्योंकि वेबसाइट पर फुटबाल मैच आता था। जिससे हम लोग वर्किग टाइम के दौरान ही फुटबाल का मैच देख लेते थे। मगर अब रात में टीवी पर ही देखना मजबूरी है।

वर्जन-

वेबसाइट पर फीफा न आने से प्रॉब्लम बढ़ गई है। क्योंकि घर पर टीवी में मैच देखना काफी मुश्किल होता है, वह भी लेट नाइट। फिर भी मैच देख रहे हैं।

संजय चौहान, फुटबाल कोच

मैं फीफा का एक भी मैच देखना नहीं भूलता। पहले मैं सभी मैच अपने लैपटॉप पर देख लेता था। मगर अब टीवी पर देखना मजबूरी है। एक दिन लेट नाइट टीवी देखने को लेकर घर में झगड़ा हो गया था। मगर फीफा तो देखना था, इसलिए मैं अपने रूम के लिए अलग टीवी खरीद लाया।

समीर, फुटबाल प्रेमी