1962

में इलाहाबाद में आयोजित हुई थी ऑल इंडिया चश्मी फुटबॉल प्रतियोगिता

1962

जूनियर नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता का भी हुआ था आयोजन

1980

सीनियर नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता हुई थी आयोजित

1993

यहां हुई थी ऑल इंडिया पाटू मजूमदार फुटबॉल प्रतियोगिता

-1993 के बाद जिले में नहीं हुई एक भी नेशनल प्रतियोगिता

-वक्त के साथ सिमटता चला गया इलाहाबाद के खिलाडि़यों का रुतबा

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

ALLAHABAD: एक समय था, जब फुटबाल में कोलकाता के बाद इलाहाबाद की अपनी एक धाक थी। पूरे भारत में यहां के फुटबॉल खिलाडि़यों का रुतबा था। शहर के कई ग्राउंड फुटबाल के नाम से जाने जाते थे। इन पर 1993 तक फुटबाल की कई नेशनल प्रतियोगिताएं हुई। फुटबॉल के बुजुर्ग खिलाडि़यों की मानें तो 93 के बाद से वक्त काफी तेज बदला। फुटबॉल में जिले की छवि रफ्ता-रफ्ता धूमिल होती चली गई। आज यहां फुटबाल की बड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजित होना स्वप्न सरीखा हो गया है।

कई नेशनल खिलाड़ी हैं जिले में

उस वक्त इलाहाबाद फुटबाल एसोसिएशन के सेक्रेटरी मुस्तफा साहब हुआ करते थे। नेशनल प्लेयर व यूपी सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन कौशल तिवारी के कार्यकाल तक जिले में फुटबाल के कई जादूगर थे। बताते हैं कि यहां 1962 में जूनियर नेशनल व 80 में सीनियर नेशनल प्रतियोगिताएं हुई। इतना ही नहीं 1962 में ऑल इंडिया चश्मी व 1993 में ऑल इंडिया पाटू मजूमदार फुटबाल प्रतियोगिताएं हुईं। इन खेलों में जिले के खिलाडि़यों ने बाहर से आए धुरंधरों को धूल चटा दी थी। उस समय यहां करीब दस ग्राउंड फुटबाल के नाम से चर्चित थे। इनका नाम न सिर्फ यूपी बल्कि पूरे भारत में हुआ करता था। पुराने खिलाड़ी बताते हैं कि इनमें से कई ग्राउंड का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। जो कुछ बचे हैं वहां फुटबॉल की अपेक्षा क्रिकेट ज्यादा खेले जा रहे हैं। वक्त के साथ ग्राउंड की अपनी चमक तो धूमिल हुई ही, इस खेल के राष्ट्रीय खिलाडि़यों की संख्या में भी कमी आई है। करीब 30-38 वर्ष से यहां एक भी ऑल इंडिया फुटबॉल प्रतियोगिताएं नहीं हुई।

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फुटबॉल से जाने जाते थे ये ग्राउंड

गर्वनमेंट प्रेस ग्राउंड, रेलवे ग्राउंड, कैंटोन्मेंट ग्राउंड, ईएमई स्टेशन ग्राउंड, वर्कशॉप ग्राउंड, केपी ग्राउंड, एग्री कल्चर ग्राउंड, लूकरगंज ग्राउंड, एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज ग्राउंड, चैथम लाइन ग्राउंड। बताते हैं कि इनमें से आज कई ग्राउंड विलुप्त हो चुके हैं।

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जिले के कुछ नामचीन खिलाड़ी

स्तर नाम

राष्ट्रीय हॉर्डिल डेविड

राष्ट्रीय अमलसेन गुप्ता

राष्ट्रीय जलालुद्दीन

राष्ट्रीय शौकत अली

राष्ट्रीय प्रेमचंद्र दयाल

राष्ट्रीय शोमनाथ चंद्र

राष्ट्रीय ओम प्रकाश पंजाबी

राष्ट्रीय रामचंद्र किशोर

कॉलिंग

आज के खिलाडि़यों का रुझान फुटबॉल से कम हुआ है। जो पै्रक्टिस कर भी रहे हैं, उनकी क्षमता पहले के लोगों से कम है। इसकी वजह खानपान पर ध्यान न देना है। साल में एक बार स्टेट लेवल की प्रतियोगिता हो जाय वही बड़ी बात है। प्रतियोगिताओं से खिलाडि़यों को खुद को साबित करने का मौका मिलता है।

-हर्डिल डेविड, राष्ट्रीय खिलाड़ी फुटबाल

इलाहाबाद में राष्ट्रीय स्तर के पुराने फुटबाल खिलाडि़यों की संख्या काफी है। यहां से व‌र्ल्ड कप में कोई खिलाड़ी नहीं खेला। पहले जिले में ऑल इंडिया स्तर की प्रतियोगिताएं होती थीं।

-जलालुद्दीन, राष्ट्रीय खिलाड़ी फुटबाल

कड़ी मेहनत के बावजूद आज खिलाड़ी नेशनल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। एक दो जो पहुंचते भी हैं, उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पा रहा। लिहाजा खिलाडि़यों की नई फौज का मनोबल गिर रहा है।

-प्रेमचंद्र दयाल, राष्ट्रीय खिलाड़ी फुटबाल

आज पहले जैसे हालात नहीं हैं। हम सब पांच-पांच, छह-छह घंटे प्रैक्टिस किया करते थे। आज खिलाड़ी ठीक से तीन घंटे की प्रैक्टिस में ही थक जाते हैं। यहां नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं पहले की तरह होनी चाहिए। इससे युवाओं व खिलाडि़यों दोनों का रुझान और बढ़ता है।

-अमलसेन गुप्ता, राष्ट्रीय खिलाड़ी फुटबाल