-मंगलवार को ऋषभ अकेडमी में प्रवचन देंगे मुनिश्री तरुणसागर

Meerut : जैन संत मुनिश्री तरुण सागर के कड़वे प्रचलन की श्रृंखला में पांचवे दिन जैन धर्मशाला टंकी मोहल्ला, सदर में गुरुमंत्र दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने अनुयायियों को गुरुमंत्र देकर मनुष्य के जीवन में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला। कहा कि गुरु एवं संत अपने भक्तों को सिर्फ उपदेश दे सकते हैं, किंतु अपने शिष्य को आदेश। कारण, गुरु एवं शिष्य में एक अटूट और सम्मान का रिश्ता स्थान बना लेता है। मुनिश्री ने लगभग पचास लोगों को गुरुमंत्र देते हुए उन्हें मांसाहार और मदिरापान से दूर रहने की शपथ दिलाई।

गुरुमंत्र आध्यात्म की पहली सीढ़ी

मुनिश्री तरुण सागर ने कहा कि जिस प्रकार व्यक्ति की शर्ट पर चिपककर चींटी भी दिल्ली से मुंबई दो घंटे में पहुंच सकती है, उसी प्रकार मुनि के मोक्ष की राह में अगर श्रावक उनके पैर पकड़ लें तो उन्हें सहज मुक्ति मिल जाएगी। ऐसे में गुरु में पूरी निष्ठा शिष्य को और होनहार बनाती है। मुनिश्री ने गुरुमंत्र को आध्यात्म की पहली सीढ़ी बताया। मुनिश्री ने कहा कि मिट्टी के द्रोणाचार्य भी शिष्य के जीवन में श्रद्धेय होते हॅग्, जिनको गुरु मानकर एकलव्य ने दुनियाभर में नाम किया।

बच्चों से रूबरू होंगे

गुरुमंत्र की दीक्षा लेने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से मुनि के चरणों में नृत्य अर्पित किया। सायंकालीन आनंद यात्रा में मुनिश्री ने श्रोताओं को हंसाते हुए कई अध्यात्मिक बातें भी कीं। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि मंगलवार को मुनिश्री तरुणसागर वेस्ट एंड रोड पर स्थित ऋषभ अकेडमी के बच्चों से रूबरू होंगे। सायंकाल में वह दुर्गावाड़ी जैन मंदिर से असोड़ा हाउस जैन मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे। कार्यक्रम कार्यक्रम में सुरेन्द्र जैन, हंस कुमार, विजय कुमार, राकेश जैन, वीनेश जैन, मृदुल जैन, अनिल जैन, प्रमोद जैन, रंजीत जैन, दिनेश जैन, श्यामलाल और भारत समेत कई अन्य का योगदान था।

सार्थक हो उठा जीवन

भक्तों एवं अनुयायियों के चेहरे पर अपार संतोष का भाव रहा। भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच श्रोताओं में कड़वे प्रवचन और बाद में गुरुदीक्षा को लेकर भारी कौतूहल रहा। उन्होंने मुनिश्री ने न सिर्फ जीवन की शिक्षा हासिल की, बल्कि लौकिक से परालौकिक संसार में जीवों के विचरण का भी दर्शन जाना। श्रोताओं में बच्चों एवं महिलाओं की भी भारी संख्या नजर आई। गुरु प्रवचन के दौरान पंडाल में जबरदस्त सन्नाटा संकेतक था कि श्रोता उन मूल्यों को आत्मसात करने के प्रति व्यग्र और गंभीर हैं। लगातार पांच दिनों तक बही ज्ञान सरिता में डुबकी लगाने वाले श्रोताओं में अगले कार्यक्रमों को लेकर भी कौतूहल बना हुआ है। गुरु चरणों में भक्तों के भावप्रणय नृत्य ने श्रद्धा का इंद्रघनुष खींच दिया।