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क्कन्ञ्जहृन्: महिला सुरक्षा को लेकर कानून का दायरा बढ़ा है। अभियान चलाकर लोगों को अवेयर करने के बाद भी महिला और पुरुष महिला पर हिंसा को लेकर गंभीर नहीं हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार की 53 फीसदी महिलाएं और 38 फीसदी पुरुष महिलाओं पर होने वाले हिंसा को जायज मानते हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के बाद स्वयंसेवी संस्थाएं हिंसा कम करने पर काम कर रही हैं। हाल ही में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 38 फीसदी पुरुष मानते हैं कि कुछ बातों के लिए महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा जायज़ है। इतना ही नहीं, चिंताजनक बात यह है कि 53 फीसदी महिलाएं भी मानती हैं कि कुछ स्थितियों के लिए उन पर पति द्वारा की जाने वाली हिंसा ज़ायज है और वो उसे स्वीकार है। कम से कम 12 वर्ष तक स्कूली शिक्षा ले चुकी 36 फीसदी महिलाएं और 29 फीसदी पुरुष भी मानते हैं कि कुछ स्थितियों में पति द्वारा पत्नी को पीटा जाना जायज है।

बेटों की तरह जरूरी है बेटियों की परवरिश

ऐसी सोच में बदलाव लाने के लिए बड़े स्तर पर स्वयंसेवी संस्था काम कर रहे हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही हिंसा की स्वीकार्यता भी महिलाओं में अधिक देखी गई जो समाज की तरक्की में बाधक है। ऐसी महिलाएं अधिक शिकार हुई हैं जो मां को पिता के हाथों पिटते देखी हैं। ऐसी महिलाओं को लगता है कि उनके साथ ऐसा होना ही है। जब तक बेटियों की परवरिश बेटों की तरह नहीं होती है तब तक यह समस्या होगी। लड़की को नाजुक व कमजोर बताया जाता है जबकि पुरुष को हमेशा ताकतवर बताया जाता है। इससे घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते हैं।

37 फीसदी महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का किया सामना

-39 फीसदी महिलाएं मानती हैं कि सास-ससुर का सम्मान नहीं करती हैं तो उसे पीटना जायज है।

-28 फीसदी पुरुषों का भी यही मानना है कि बड़ों का सम्मान नहीं करने पर पीटा जाना सही है।

-34 प्रतिशत महिलाएं और 21 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि पति के साथ बहस करने पर उन्हें पत्नी को पीटने का हक है।

-33 महिलाएं मानती हैं कि घर या बच्चों का ध्यान नहीं रखने पर उनकी पिटाई जायज है।

-19 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि पत्नी अगर उनके प्रति वफादार नहीं हैं तो उनकी पिटाई करना सही है।

-15-19 आयु की 47 फीसदी महिलाएं व 41 फीसदी पुरुष मानते हैं मनमानी पर पिटाई सही है।

-20 से 24 आयु वर्ग में 52 फीसदी महिलाएं और 41 प्रतिशत पुरुष मानते हैं की किसी एक की मनमानी पर पीटना जायज है।

-15 से 19 आयु वर्ग की 32 प्रतिशत महिलाओं को यौनिक हिंसा का सामना करना पड़ा है।

-20 से 24 आयु में यह बढ़कर 45 फीसदी हो गया।

-20 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि अगर पत्नी संबंध बनाने के लिए मना करती है तो उनको गुस्सा करने का अधिकार है।

-15 से 49 आयु वर्ग की 37 फीसदी महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का सामना किया।

-15 से 49 आयु वर्ग की 12 फीसदी महिलाओं ने यौनिक हिंसा का सामना।

-39 फीसदी ने शारीरिक या यौनिक हिंसा का सामना किया है।

-15 से 49 आयु वर्ग में 81 फीसदी महिलाओं ने घरेलू हिंसा के खिलाफ किसी से मदद नहीं मांगी।

-7 फीसदी ने मदद नहीं मांगी लेकिन हिंसा के बारे में किसी अन्य को बताया।

-13 फीसदी ने महिलाओं ने सिर्फ मदद मांगी।

-60 फीसदी ने अपने परिवार से मदद मांगी।

-35 फीसदी ने पति के परिवार और 15 फीसदी ने दोस्तों से मदद मांगी।

बेटी को बचपन से ही घर की इज्जत से जोड़ दिया जाता है और उन्हें बेटों की अपेक्षा कमजोर कहकर कमजोर किया जाता है। बेटियों को चुप्पी नहीं तोड़ने की बात कही जाती है जबकि बेटों को विरोध करने व ताकतवर बनकर रहने की बात कही जाती है। बेटे बेट में फर्क व उनकी परवरिश का माहौल भी बड़ा कारण है।

- जोशी जोश, सीनियर डायरेक्टर, ब्रेक थ्रू