ये लड़ाईयां सिर्फ आम लोगों तक सीमित नहीं हैं बल्कि चीन के बुद्धिजीवी, बड़े व्यवसायी और फ़िल्म स्टार तक शामिल हैं.

लोगों से जुड़े मुद्दों पर ये सब लोग ना सिर्फ इंटरनेट पर बहस करते हैं बल्कि तेज़ी से बहस को झगड़ों में बदल रहे हैं जिनमें लड़ाई का समय और स्थान पहले से तय किया जाता है.

साल 2012 के ऐसे पहले मामले की मीडिया में खूब चर्चा हुई. इस मामले में एक टीवी पत्रकार झू यान ने एक कानून के प्रोफेसर वू डानहॉन्ग की लात-घूसों से पिटाई कर दी.

बीजिंग के चाओयांग पार्क में हुई इस लडा़ई के लिए भी समय और स्थान सोशल मीडिया साइट पर ही तय किया गया था. कई मशहूर हस्तियों के वीबो अकाउंट पर इस तरह के झगड़ों की योजना बनाई गई है.

लोगों से जुड़े मुद्दों पर ये सब लोग ना सिर्फ इंटरनेट पर बहस करते हैं बल्कि तेज़ी से बहस को झगड़ों में बदल रहे हैं जिनमें लड़ाई का समय और स्थान पहले से तय किया जाता है.

साल 2012 के ऐसे पहले मामले की मीडिया में खूब चर्चा हुई. इस मामले में एक टीवी पत्रकार झू यान ने एक कानून के प्रोफेसर वू डानहॉन्ग की लात-घूसों से पिटाई कर दी.

बीजिंग के चाओयांग पार्क में हुई इस लडा़ई के लिए भी समय और स्थान सोशल मीडिया साइट पर ही तय किया गया था. कई मशहूर हस्तियों के वीबो अकाउंट पर इस तरह के झगड़ों की योजना बनाई गई है.

इंटरनेट पर प्रसारण
खेती की ज़मीन के लेकर हुई एक बहस के बाद चार मार्च को केंद्रीय हान राज्य के एक राजनीतिक सलाकार ने स्थानीय नेता को लड़ाई के लिए खुली चुनौती दे दी.

जाओ के लियो ने सोशल साइट वीबो पर नेशनल पीप्लस कांग्रेस के प्रतिनिधि झू जिया यान को लिखा, ‘देखते हैं कौन किसको मुंह पर थप्पड़ मारता है.'

ऐसी ही एक बहस में टीवी पत्रकार ज़ोउ यान और वू डेनहांग के बीच वीबो पर बहस हो गई कि क्यों सरकार को प्रदूषण करने वाला एक प्रोजेक्ट नहीं लगाना चाहिए. सोशल साइट पर तीखी बहस के बाद 6 जुलाई को 2012 को एक लड़ाई तय की गई.

ज़ोउ यान अपने कुछ समर्थकों के साथ पार्क में पहुंचे. वी डेनहांग को एक सांकेतिक हार झेलनी पड़ी जब उन्हें कुछ लात घूसों का सामना करना पड़ा. इस पूरे झगड़े को फिल्म किया गया और इंटरनेट पर भी डाला गया.

इस तरह का पहला मामला 2011 में सामने आया चब चीन की सबसे प्रसिद्ध माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट साइना विबो पर एक मीडिया स्तंभकार ‘इंटरनेट की आज़ादी’ विषय पर आयोजित एक बहस में एक वकील से उलझ गए और इसके बाद लड़ाई की जगह तय की गई. इस मामले में तय स्थान पर पुलिस पहुंच गई और लड़ाई नहीं हुई.

लड़ाई के लिए मशहूर हुआ पार्क
हालांकि अधिकतर लोग कहते हैं कि असल में बहस को खत्म करने का ये सही तरीका है जिसमें असल झग़डा नहीं होता. ये बस विरोधी के सामने अपने आप को सही साबित करने का तरीका भर है.

ऐसा भी नहीं है कि हर बार झगड़ा हो ही. एक बार एक आर्ट क्यूरेटर ने दूसरे को चुनौती दी लेकिन दूसरा नहीं आया और आर्ट क्यूरेटर इंतज़ार कर लौट गया.

इस तरह के झगड़ों के लिए बीजिंग का चाओयांग पार्क सबसे प्रसिद्ध जगह है. यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है, खुली जगह में लड़ाई भी हो सकती है और भागा भी जा सकता है, इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए मुफ्त वाईफाई इंटरनेट उपलब्ध है.

इतना ही नहीं उच्च वर्ग के लोगों की रिहायिश पास ही है जिसका मतलब है कि आपके झगड़े की चर्चा होने की ज्यादा संभावनाएं है.

चीन में कई लोगों का मानना है कि इस तरह के झगड़ों का चलन तर्क के उपर हिंसा के हावी होने के समान है और ये दिखाता है कि सामाजिक जीवन के बुद्धिजीवियों का स्तर गिर रहा है.

 

 

 

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