दिनभर चला हंगामा,कैंपस में अ‌र्द्धसैनिक बल और पुलिस तैनात

आरोपी मेडिकोज के खिलाफ एफआईआर, चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ कमेटी करेगी जांच

शाम छह बजे कर्मचारियों ने की हड़ताल खत्म करने की घोषणा

LUCKNOW :

किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) में मेडिकोज और कर्मचारियों के विवाद मरीजों पर भारी पड़ा। विवाद के चलते गुरुवार को 13 माह की मासूम लविका सहित दो मरीजों की जान ले ली। छोटी सी बात को लेकर झगड़ा यहां तक पहुंच गया कि कर्मचारियों ने ओपीडी में परचा और पैथोलॉजी काउंटर बंद करा दिए। जिसके बाद प्रशासन को ट्रॉमा सेंटर से लेकर प्रशासनिक भवन, ओपीडी भवन तक अ‌र्द्धसैनिक बलों और पुलिस की तैनाती करनी पड़ी। वहीं केजीएमयू प्रशासन ने कर्मचारियों के दबाव में आकर आरोपी छात्र के खिलाफ एफआईआर और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ जांच कमेटी गठित करने की आदेश दिए। जिसके बाद शाम करीब छह बजे कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल खत्म करने की घोषणा की।

कर्मचारियों ने कर दी हड़ताल

गुरुवार सुबह पहले मेडिकल छात्र वीसी ऑफिस पहुंच और उसके बाद कर्मचारी पहुंचे। छात्र हॉल में अंदर तो कर्मचारी वीसी ऑफिस के बाहर हंगामा करते रहे। कर्मचारियों ने वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट की भी एक न सुनी। वीसी ने उनसे वार्ता करने की कोशिश की तो कर्मचारियों ने मांगों को लेकर ट्रॉमा सेंटर में कब्जा कर लिया। इस दौरान सैकड़ों कर्मचारियों ने अपने अपने विभागों का काम ठप कर दिया। शाम करीब पांच बजे तक कैजुअल्टी के बाहर हॉल में केजीएमयू के सैकड़ों कर्मचारी नारेबाजी करते रहे। इस दौरान मरीजों को कैजुअल्टी के अंदर पहुंचने में भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

प्रदेश भर से आए मरीज लौटे

गुरुवार को अपनी चेतावनी के मुताबिक कर्मचारियों ने सुबह 9.30 बजे के बाद से ओपीडी में परचा काउंटर बंद कराना शुरू कर दिया। 10:30 बजे के बाद एक भी परचा नहीं बनाया जा सका। हड़ताल का असर नई ओपीडी बिल्डिंग से लेकर क्वीन मेरी, कार्डियोलॉजी, मानसिक रोग विभाग और हड्डी रोग तक पड़ा। जिसके कारण लखनऊ आस-पास के साथ ही गोंडा, बलरामपुर, गोरखपुर तक के मरीज परचा न बन पाने के कारण इलाज नहीं करवा सके और उन्हें बैंरंग लौटना पड़ा। मरीज घंटों परचे के लिए इंतजार करते रहे, लेकिन उनका परचा नहीं बन सका। जिसके कारण कई हजार मरीज बिना इलाज कराए ही लौटने को मजबूर हुए। जबकि कमरों में डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे। केजीएमयू में हर रोज 8 हजार से 10 हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। गुरुवार को आधे भी मरीजों को नहीं देखा गया। दूर दराज से आने वाले मरीज तड़पते नजर आए लेकिन उन्हें इलाज नहीं मिल सका।

कर्मचारी आठ घंटे तक हड़ताल पर

कर्मचारियों ने सुबह करीब 10 बजे से ही काम ठप कर दिया। यह हड़ताल शाम छह बजे केजीएमयू प्रशासन की ओर से उनकी मांगें मानी जाने के आश्वासन पर खत्म हुई। शाम करीब छह बजे कर्मचारियों की वीसी, रजिस्ट्रार व अन्य अधिकारियो के साथ वार्ता हुई। इसके बाद ही कर्मचारियों ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा की।

दो दिन पुराना है मामला

गौरतलब है कि 2012 बैच के एमबीबीएस छात्र श्याम गुप्ता अपनी मां की जांचें कराने के लिए मंगलवार को मेन पीआरओ ऑफिस स्थित पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर पर गया था। इस दौरान सैंपल जमा करने को लेकर उसकी पंकज मौर्या नाम के कर्मचारी से कहासुनी हो गई। इस पर कर्मचारियों ने श्याम को घेर लिया और उसे माफी मांगने को विवश किया। अगले दिन बुधवार को बड़ी संख्या में कर्मचारी पैथोलॉजी कलेक्शन सेंटर पहुंचे और हंगामा किया। इस दौरान एक महिला कर्मचारी टेबल पर चढ़कर वीडियो बना रही थी और नीचे आ गिरी। महिला सहित एक अन्य कर्मचारी को चोट लगी। इसके बाद कर्मचारियों ने कलेक्शन सेंटर ठप कर दिया। आरोप लगाया कि दो कर्मचारियों को मेडिकोज ने पीटा है। केजीएमयू प्रशासन के आश्वासन के तीन घंटे बाद दोबारा सैंपल जमा होने और रिपोर्ट मिलने शुरू हुए, लेकिन कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि आरोपी मेडिकल छात्र के खिलाफ एफआईआर और निष्कासन न हुआ तो गुरुवार को हड़ताल कर देंगे।

केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही

पूरे मामले में केजीएमयू प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई। चीफ प्रॉक्टर ने तो एक्शन लेते हुए मामले में जांच कमेटी गठित कर दी और छात्र श्याम गुप्ता को सस्पेंड करने के भी आदेश दिए, लेकिन मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से लेकर रजिस्ट्रार और वीसी ने भी मामले को हल्के में लिया। सभी अधिकारी मामले मे मिलकर लीपातोपी करते रहे। शायद इसी कारण छोटा सा मामले ने इतना बड़ा रुख अख्तियार कर लिया। वीसी ऑफिस में तोड़फोड़ की गई, लेकिन फिर भी अधिकारी मामले को हल्के में ले रहे थे। बाद में करीब 12 बजे कर्मचारियों ने काम ठप करते हुए ट्रॉमा सेंटर में डेरा डाल दिया तो प्रशासन के होश उड़ गए।

कर्मचारियों का पक्ष

मेडिकल छात्र ने पहले दिन कर्मचारी के साथ अभद्रता की थी। दूसरे दिन बड़ी संख्या में आए और कर्मचारियों के साथ मारपीट की। केजीएमयू प्रशासन और अधिकारियों की इसमें बड़ी लापरवाही है।

मेडिकल छात्रों का पक्ष

छात्र के साथ कर्मचारियों ने मारपीट की थी और माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया। कर्मचारी आकर छात्र से माफी मांगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

आरोपी छात्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई है। प्रॉक्टर के खिलाफ कमेटी गठित जांच की जाएगी और उचित निर्णय लिया जाएगा।

- राजेश कुमार राय, रजिस्ट्रार, केजीएमयू