मेडिकल फीस घोटाला
डॉ। बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी में 460 से अधिक प्राइवेट कॉलेज जुड़े हुए हैं। रूल्स के हिसाब से प्राइवेट कॉलेजेज से पर स्टूडेंट मेडिकल फीस ली जाती है, जो एग्जाम फीस में ही इंक्ल्यूड होती है। इसके अकोर्डिंग स्टूडेंट्स के लिए साल में दो बार मेडिकल कैंप लगाकर फ्री चेकअप होना चाहिए। मगर, इस आदेश को कई सालों से फॉलो नहीं किया जा रहा है। पिछले पांच साल से न तो मेडिकल कैंप लगाए गए और न ही इसकी फीस का कुछ अता-पता है।
दो लाख से अधिक स्टूडेंट्स
2013 में यूनिवर्सिटी में दो लाख से अधिक रेग्यूलर स्टूडेंट्स हैं। इन सभी को भी कॉलेज में किसी भी स्तर पर मेडिकल चेकअप नहीं हुआ।
175 रुपये है फीस
यूनिवर्सिटी की ओर से मेडिकल चेकअप की फीस तय है। यह फीस अनरिजव्र्ड और रेग्युलर स्टूडेंट के लिए 175 रुपए है। यूनिवर्सिटी के कुछ कॉलेज सिर्फ नाम के लिए मेडिकल चेकअप कैंप लगाते हैं। यहां कब कैंप आयोजित हो जाता है और कब इसका एनाउंसमेंट किया जाता है इसकी खबर स्टूडेंट्स तक नहीं पहुंचती। यही नहीं, चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले पांच साल से यूनिवर्सिटी के किसी भी कॉलेज ने स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल चेकअप कैंप नहीं लगाए। पर फीस बदस्तूर वसूली लेते रहे।
करोड़ों की चपत
प्राइवेट कॉलेजेज में रखे गए रिकॉर्ड पर अगर नजर डाली जाए तो हर साल 60 हजार स्टूडेंट्स से फीस ली जाती है। ऐसे में 175 रुपए के हिसाब से यह फीस एक करोड़ रुपए का आंकड़ा क्रॉस कर जाती है। ऐसे में पिछले पांच साल में साढ़े पांच करोड़ रुपये से अधिक रुपए स्टूडेंट्स के मेडिकल चेकअप कैंप के नाम पर गटके जा चुके हैं।
बोलती कर दी बंद
प्राइवेट कॉलेज के स्टूडेंट्स ने जब-जब कॉलेज के खिलाफ कंप्लेन की है तो कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने प्रेशर क्रिएट करके उनकी बोलती बंद कर दी। इसकी भी कंप्लेन लगातार यूनिवर्सिटी में आईं।
लेते हैं 500 रुपये तक
सोर्सेज की माने यूनिवर्सिटी से एफिलेटिड प्राइवेट कॉलेजेज मेडिकल चेकअप या कैंप के नाम पर हर स्टूडेंट ने 500 रुपये तक वसूले जाते हैं। जबकि ऐसा कोई भी नियम या फीस यूनिवर्सिटी के हिसाब से तय नहीं की गई है। जो रुपये मेडिकल फीस के नाम पर लिया जाता है उसकी रसीद तक नहीं दी जाती है और कागजों पर यूनिवर्सिटी की फीस ही मैनेज की जाती है।
वाट रूल्स सेज का लोगो
800 आरटीआई का जवाब नहीं
यूनिवर्सिटी में मेडिकल फीस को लेकर आए दिन कोई न कोई प्रॉब्लम होती है। इसके लिए कई कॉलेजेज के करीब 800 से अधिक लोगों ने यूनिवर्सिटी से इस मामले में आरटीआई के तहत जवाब मांगा। लेकिन उसका जवाब पिछले तीन साल में नहीं दिया गया है। इंडियन गवर्नमेंट के रूल के अनुसार, आरटीआई का जवाब एक महीने के अंदर देना जरूरी होता है। लेकिन यूनिवर्सिटी को इसकी भी कोई परवाह नहीं है।

जो मेडिकल फीस यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स से ली जाती है उसका रिकॉर्ड है यूनिवर्सिटी के पास। पर कॉलेज वालों से जो फीस तय है वो ही ली जाती है। अब इस फीस जो भी यूज करना है वो यूनिवर्सिटी के दूसरे डिपार्टमेंट का पार्ट है हमारा काम है रुपया देना सिर्फ।
आरपी सिंह, फाइनेंस ऑफिसर यूनिवर्सिटी

मेरी जानकारी में यह नहीं है। अगर ऐसा कुछ कॉलेजेज में हो रहा है तो इसकी जानकारी की जाएगी। वैसे कॉलेजेज पर टाइम-टाइम पर मेडिकल चेकअप होना चाहिए।
बीके पांडे, रजिस्ट्रार यूनिवर्सिटी

 

 

 

 

Report by: Piyush.sharma@inext.co.in