वोटिंग परसेंटेज

पिछले साल वोटिंग में करीब 56 परसेंट वोट पड़े थे, लेकिन इस साल ये परसेंटेज बढऩे की उम्मीद हैं। पिछले साल बीटेक के स्टूडेंट त्योहार के चलते अपने घर चले गए थे, लेकिन इस बार चुनाव कुछ दिन पहले ही हो रहे हैं। इसके चलते पोलिंग के टाइम सभी स्टूडेंट कैंपस में मौजूद रहे रहेंगे।

नोमिनेशन

पिछले साल अध्यक्ष पद के लिए 15, उपाध्यक्ष पद के लिए 3, महामंत्री पद के लिए 8, संयुक्त सचिव पद के लिए 7 और कोषाध्यक्ष पद के लिए 8 लोगों ने नामांकन किया था, जिनमें से नाम कैंसल होने के बाद अध्यक्ष पद के लिए 5, उपाध्यक्ष पद पर 3, महामंत्री पद के पर 5, संयुक्त सचिव पद पर 3 और कोषाध्यक्ष पद के लिए 6 लोग मैदान में बचे थे। इस बार ये आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है, क्योंकि इस साल इंडिपेंडेंट लडऩे वालों की संख्या बहुत ज्यादा बताई जा रही है।

वोटर लिस्ट

पिछले साल की तुलना में इस साल पहले ही वोटर लिस्ट निकलवा ली गई है, जिस पर माथा-पच्ची शुरू हो गई है। पार्टियों ने सभी के काम बांट दिए हैं। वोटर लिस्ट में से स्टूडेंट्स को, जेंडर, एरिया, रीजन, क्लास, कास्ट, रिलीजन के आधार पर अलग करने का जिम्मा दिया गया है, जबकि पिछले साल चुनाव से इतना पहले नामांकन लिस्ट जारी नहीं की गई थी.  पिछले साल टोटल स्टूडेंट थे 3206, जिनमें से 2692 ने वोट बनवाई थी। इनमें से 1162 वोट बीटेक स्टूडेंट्स की थी। जबकि इस साल वोटों की संख्या भी तीन हजार से ज्यादा होगी।

पार्टी इनवाल्वमेंट

सपा छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष अतुल प्रधान और एबीवीपी के प्रदेश प्रमुख अंकुर राणा और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अवनीश काजला मेरठ से ही ताल्लुक रखते हैं और चुनाव के चलते मेरठ में ही डेरा डाले हुए हैं। इसके चलते चुनाव और भी बड़ा हो जाएगा।

गाड़ी का शौक

इससे पहले कैंपस में बड़ी गाडिय़ों में घुमने का इतना शौक नहीं था। लेकिन पिछले छात्र संघ के पदाधिकारियों को देखकर अब बाकी छात्र भी इसी टशन के चक्कर में चुनाव में भाग लेना चाहते हैं।

रिश्वत और पार्टी शुरू

पिछले साल की बात की जाए तो एक पार्टी पर छात्रों को अगवा करने का आरोप लगा था। इस बार तो चुनाव से करीब महीना भर पहले ही दावतों का और वोटर्स को रिझाने का काम शुरू हो गया था।

हो रही कॉलिंग

स्टूडेंट गुटों ने स्टूडेंट्स के फोन नंबर वाली लिस्ट कैंपस से निकलवा ली है, जिसकी मदद से हर स्टूडेंट को फोन किया जा रहा है। ताकि वो पैनल को सपोर्ट करे। इसके साथ ही पैनल की जानकारी भी हर स्टूडेंट को मोबाइल पर मैसेज करके अलग से दी जाएगी।

गल्र्स वोट

पिछले साल सभी पदों पर सिर्फ एक ही गल्र्स कैंडीडेट मीनल गौतम ने चुनाव लड़ा था, जिससे गल्र्स वोट डिवाइड नहीं हुआ था, लेकिन इस साल कम से कम चार से पांच गर्ल कैंडीडेट चुनाव लडऩे की तैयारी में है। इसके चलते गल्र्स वोट डिवाइड हो जाएंगी।

गोली बारी

गोलीबारी की घटनाओं की ही बात की जाए तो इस साल नोमिनेशन से पहले एक बार गोलीबारी हो चुकी है, जबकि एक प्रत्याशी को धमकी दी जा चुकी है। पिछले साल कैंपस में चुनाव के दौरान खुलेआम फायरिंग की कोई घटना समाने नहीं आई थी।

तेजी से काम

पिछले साल की तुलना में यूनिवर्सिटी को इस बार को स्टूडेंट्स की लिस्ट बनाने में कम परेशानी हुई है। छात्र नेताओं के कहने पर स्टूडेंट्स की लिस्ट समय से पहले ही तैयार हो गई।

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