आगरा। यमुना एक्सप्रेस-वे पर इंडियन एयरफोर्स का फाइटर प्लेन उतारा गया। रोड रनवे को लेकर एक्सप्रेस-वे पर एयरफोर्स की ओर से किया गया यह पहला टेस्ट सफल रहा। उम्मीद जताई जा रही है कि एयरफोर्स भविष्य में भी इस प्रकार की प्रैक्टिस जारी रख सकती है।

इमरजेंसी में हो सकेगा यूज

एयरफोर्स की ओर से मिराज-2000 को यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा गया। हाल के कुछ समय से चालू किए गए इस एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन उतरने के प्लान की किसी को भनक नहीं लगी। रक्षा विशेषज्ञ इस लैंडिंग को इमरजैंसी में रोड रनवे के रूप में देख रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों की माने तो इमरजेंसी के दौरान एयरफोर्स को इसी तरह के रोड रनवे की आवश्यकता होती है। इसी को लेकर गुरुवार को मिराज की लैंडिंग कराई गई।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे भी होगी विकल्प

गुरुवार को अचानक यमुना एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन मिराज-2000 की लैंडिंग से पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भी इमरजेंसी लैंडिंग के लिए विकल्प के लिए प्लान चल रहा है। इसको लेकर कई बार आला अधिकारियों की ओर से मंथन भी हो चुका है। लेकिन, इस रोड को फाइटर प्लेन के रनवे के लिए इस्तेमाल किया जाता, इससे पहले ही दिल्ली से आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन की रोड रनवे पर लैंडिंग की टेस्टिंग कर ली गई और यह सफल भी रही।

विकल्प की थी जरूरत

1971 में पाकिस्तान का प्लेन आगरा तक आ गया था। रोड रनवे पर फाइटर प्लेन की लैंडिंग की आवश्यकता तभी से महसूस होने लगी थी। 1971 की रिपोर्ट के मुताबिक, तब बांग्लादेश मुक्ति लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयरफोर्स के फाइटर प्लेन आगरा की सीमा तक आ गए थे। हालांकि, वे बम बरसा नहीं पाए थे। इंडियन एयरफोर्स ने उन्हें खदेड़ दिया था। लेकिन तभी से महसूस किया जाने लगा था कि आगरा एयरबेस के पास ही में विमान उतारने के लिए एक और विकल्प की सख्त जरूरत है।

कर लिया गया था पूरा इंतजाम

मथुरा के पास का तीन किलोमीटर हिस्सा मिराज प्लेन की लैंडिंग के लिए सही माना गया। लैंडिंग के दौरान आगरा एयर फोर्स स्टेशन के जरिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल, सेफ्टी सर्विसेज, रेस्क्यू, बर्ड क्लीयरेंस को लेकर वर्कआउट कर लिया गया था। फाइटर प्लेन उतारने से पहले आगरा ही नहीं बल्कि मथुरा के डीएम भी मौजूद रहे। लैंडिंग प्लेस को लेकर दोनों ही जगहों की पुलिस से भी को- ऑर्डिनेट किया गया। लैंडिंग करने से पहले प्लेन जमीन से करीब 100 फीट ऊपर था। इस प्रैक्टिस में यूपी सरकार, सिविल पुलिस और जेपी इंफ्राटेक ने सपोर्ट किया। उम्मीद जताई जा रही है कि एयरफोर्स भविष्य में भी इस तरह की लैंडिंग प्रैक्टिस जारी रख सकती है। बताते चलें कि पिछले दिनों एयरफोर्स की सेंट्रल कमांड के चीफ कमांडर एयर मार्शल केएस गिल के नेतृत्व में एयरफोर्स ऑफिसर्स सीएम अखिलेश यादव से मिले थे। उस दौरान यह तय हुआ कि 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का एक हिस्सा प्लेन लैंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

मोदी सभा स्थल भी है पास

सुबह करीब 8.15 बजे एयरफोर्स के एक हेलिकॉप्टर ने भी एक्सप्रेस-वे पर लैंडिंग की। फाइटर प्लेन की लैंडिंग मथुरा आगरा के बीच माइल स्टोन-118 के पास गई। बताते चलें कि इस जगह से कुछ ही दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 मई को जनसभा भी करने वाले हैं। लैंडिंग प्रोग्राम के चलते एक्सप्रेस-वे तड़के तीन बजे से ही आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। इस वजह से काफी देर तक जाम की स्थिति रही।

पाक पहले ही कर चुका है टेस्ट

-फाइटर प्लेन की रोड रनवे टेस्टिंग की बात करें तो पाकिस्तान यह काम पन्द्रह साल पहले ही कर चुका है।

-वर्ष 2000 में इस्लामाबाद-लाहौर मोटरवे पर एफ-7पी फाइटर, सुपर मुशाक ट्रेनर और सी-130 फाइटर उतारे।

-2010 में इसी मोटरवे के एक हिस्से को पाक ने अपनी एयरफोर्स के लिए पूरी तरह रोड रनवे के रूप में विकसित कर लिया।

-इसके बाद पाक ने यहां मिराज और एफपी फाइटर प्लेन की लैंडिंग ही नहीं की, बल्कि उनकी री-फ्यूलिंग कराते हुए दोबारा टेक-ऑफ की भी टेस्टिंग कर ली।

-मोटरवे के 9000 फीट लंबे और 103 फीट चौड़े हिस्से का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए किया गया था।

यह है रोड रनवे टेस्ट

रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि दुश्मन के हमले जैसी इमरजेंसी स्थिति में रोड को भी रनवे बनाने की जरूरत होती है। लेकिन, इससे पहले यह देखना जरूरी होता है कि आखिर कौन सी सड़कें इमरजेंसी लैंडिंग के लिए उपयुक्त हो सकती हैं। इसी के बाद रोड को रनवे के रूप में यूज करना होता है। इसके लिए टेस्टिंग की जरूरत होती है। इसी टेस्टिंग को रोड रनवे टेस्ट कहा जाता है।