जान बचाने के लिए बैरक में घुसना पड़ा, कई को आई चोटें

सिम बरामदगी के बाद बंदियों ने कर दिया था विद्रोह

जेल में सायरन बजा, सिपाहियों ने बल प्रयोग कर बंदियों को किया काबू

एक दिन पहले ही दो बंदियों ने डिप्टी जेलर को कर दिया था जख्मी

NAINI (16Jan, JNN): सेंट्रल जेल नैनी में शुक्रवार को डिप्टी जेलर पर हमले का मामला गर्माया हुआ ही था कि शनिवार को फिर से बंदियों और जेल अफसरों में टकराव हो गया। जेल में सिम कार्ड की बरामदगी के बाद बंदियों ने हंगामा शुरू कर अफसरों पर हमला बोल दिया। चम्मच, कलछुल लेकर टूटे बंदियों से बचने के लिए जेल अफसरों को हाई सिक्योरिटी बैरक में शरण लेनी पड़ी। जेल में सायरन बजा और सारे सिपाही असलहों व डंडे के साथ बैरकों में पहुंच गए तथा बंदियों को बल प्रयोग कर काबू किया। सभी बंदियों को बैरकों में भेजने के बाद जेलर व डिप्टी जेलर्स को हाई सिक्योरिटी बैरक से बाहर निकाला गया। बताया जाता है कि तलाशी के दौरान सिम मिलने पर बंदियों ने विद्रोह कर दिया था। मौके पर डीआईजी जेल व सीनियर सुप्रिटेंडेंट भी पहुंच गए थे। इस मामले में देर रात तक तहरीर नहीं दी गई थी।

बैरकों पर पहरा, बाहर पीएसी तैनात

नैनी जेल में बंदियों के विद्रोह के बाद सिक्योरिटी टाइट कर दी गई है। जेल के बाहर पीएसी व पुलिस का पहरा भी लगा दिया गया है। जेल प्रशासन ने इस मामले से शासन को भी अवगत करा दिया है। कैदियों के विद्रोह में जख्मी जेल अफसरों का जेल के हॉस्पिटल में ही ट्रीटमेंट हुआ। बताया जाता है कि बंदियों का विद्रोह शनिवार सुबह तब हुआ जब जेल ऑफिसर्स की टीम पीले वर्दी वाले नंबरदारों के साथ सर्किल दो के बैरक आठ में 300 बंदियों की तलाशी ले रही थी। तलाशी के दौरान ही एक नंबरदार को सिमकार्ड जमीन पर पड़ा मिला। सिम किसका है, यह सवाल पूछा गया तो बंदी भड़क गए। आरोप लगा दिया गया कि बंदियों को फंसाने के लिए सिम वहां पर फेंका गया है।

कैंटीन में पलटा सामान

आरोप है कि अफसरों के साथ बंदियों की बहस चल ही रही थी कि नंबरदार कैंटीन में घुस गए और बर्तनों को पलट दिया। तलाशी के नाम पर बंदियों के बर्तनों को भी पटका जाने लगा तो बवाल शुरू हो गया। जेल सूत्रों के मुताबिक इस कार्रवाई से भड़के बंदी चम्मच, कलछुल व खनती लेकर अफसरों व नंबरदारों पर टूट पड़े। एकाएक हुए हमले से सभी सकते में आ गए। सारे जेलर, डिप्टी जेलर व नंबरदार भागकर हाई सिक्योरिटी बैरक में घुस गए। जैसे ही बंदियों के हमले की सूचना मिली, जेल का सायरन बज गया। जेल के सारे सिपाही भागकर बैरक में पहुंचे। डंडों से बंदियों को काबू किया गया। सबके हाथ पीछे से बांधकर कतार में खड़ा किया गया। बंदियों को काबू में करने के बाद अफसरों को बैरक से निकाला गया। घटना में जेल के डिप्टी जेलर ऋत्विक प्रियदर्शी , अरुण कुशवाहा, जेलर अरविंद श्रीवास्तव, मुकुंद सहित आधा दर्जन से अधिक जेल कर्मचारी, नंबरदार व बंदी रक्षक जख्मी हुए हैं। सभी का ट्रीटमेंट जेल हॉस्पिटल में हुआ। दो दिन के भीतर बंदियों के हमले की दूसरी घटना की जानकारी शासन तक पहुंच गई। ऋत्विक पुष्कर शुक्रवार को भी सेलफोन बरामदगी पर दो बंदियों के हमले में जख्मी हो गए थे। हालांकि लखनऊ में एआईजी जेल से जब बात की गई तो उन्होंने घटना की जानकारी से इंकार कर दिया।

बंदियों की तलाशी ली जा रही थी। इस दौरान किसी बंदी ने शोर मचाना शुरु कर दिया जिससे अफरा-तफरी हो गई थी। हमले या विद्रोह जैसी बात सही नहीं है।

केदारनाथ,

सीनियर जेल सुप्रिटेंडेंट