-केमिकल मामले की फाइल मुख्यालय तलब, दोषी 44 कंडक्टरों पर कार्रवाई जल्द

-एआरएम की जांच में हुआ था खुलासा, अधिकारियों ने नहीं की कार्रवाई

GORAKHPUR: घोटालों के लिए बदनाम यूपी रोडवेज अब पुरानी फाइलों को खोलने में जुट गया है। इस कड़ी में गोरखपुर डिपो में 2014 में हुए केमिकल मामले की फाइल भी खुल गई हैं, इससे यहां के कर्मचारियों की सांसें अटक गई है। नए एमडी ने घोटाले की फाइल को लखनऊ तलब किया है। दरअसल मामला यह है कि 2014 में गोरखपुर डिपो के तत्कालीन एआरएम बदरूल इस्लाम ने केमिकल मामले का सनसनीखेज खुलासा किया था। इसमें उन्होंने मार्ग पत्र पर केमिकल लगाकर किराए में हेरफेर करने का आरोप लगाया था। जांच भी हुई थी, 44 कंडक्टर भी दोषी पाए गए, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई। अब फाइल मांगे जाने से आरटीओ ऑफिस हरकत में आ गया है। नए एमडी ने डीजीएम से जांच की फाइल मांगी है। साथ ही स्पष्टीकरण मांगा है।

जांच रिपोर्ट में नहीं है दम

एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जांच रिपोर्ट भी ठीक नहीं है। रिपोर्ट की गहनता से अगर जांच की जाए तो इसमें कुई कमियां निकलेंगी। रिपोर्ट में न राशि की चर्चा हैं और न घोटाले की टाइमिंग की। इस वजह से केस कमजोर पड़ जा रही है।

करोड़ों का है खेल

2014 के मार्च महीने में गोरखपुर डिपो के तत्कालीन एआरएम बदरूल इस्लाम ने खुलासा किया था कि रोडवेज के कुछ कंडक्टर्स मार्ग पत्र पर केमिकल लगाकर उसे हेरफेर करते हैं। यानी अधिक दूरी के पैसेंजर्स के किराए में हेरफेर कर कम दूरी का दिखाते हैं और बीच का किराया अपनी जेब में रख लेते हैं। इस मामले के खुलासे के बाद काफी दिनों तक रोडवेज में हड़कंप मचा रहा, लेकिन एआरएम की रिपोर्ट पर दोषी कंडक्टर्स के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद आरएम से लेकर एआरएम का तबादला हो गया और नए अधिकारियों के आते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

पेन व केमिकल का हाेता था यूज

एआरएम की जांच में यह मामला सामने आया था कि इसके लिए कंडक्टर्स इंक बॉल प्वाइंट पेन का यूज करते हैं, जो किसी भी स्टेशनरी शॉप में आसानी से मिल जाती है। लेकिन केमिकल की खरीदारी वे आपरेटर साइंटफिक लैब से करते हैं। इस मामले में एआरएम की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ था कि ओरिजनल मार्ग पत्र व केमिकल यूज हुए मार्ग पत्र में काफी अंतर है। इसमें वॉशआउट के बाद पेपर की क्वालिटी काफी हल्की हाे जाती है।

वर्जन

गोरखपुर डिपो में कई अनियमितता का मामला सामने आया है। संविदा परिचालक भर्ती घोटाले के मामले में दो अफसरों को बर्खास्त कर दिया गया है। केमिकल घोटाले की फाइल को मांगा गया है। जरूरत पड़ी तो फिर जांच कराई जाएगी। रोडवेज की घटती आय को देखते हुए कई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। कई मामले ऐसे में जिसमें विभागीय कर्मचारियों पर ही निगम को चूना लगाने की बात सामने आई है।

के रविंद्रनायक, एमडी यूपी रोडवेज