BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट के छह गांव और शहर के दो क्षेत्रों को फाइलेरिया की दृष्टि से संवेदनशील घोषित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए डिस्ट्रिक्ट में नाइट ब्लड सर्वे शुरू करा दिया है। ताकि फाइलेरिया पर नियंत्रण किया जा सके। अगले महीने फाइलेरिया की रोकथाम को दवा खिलाने का अभियान शुरू होगा।

संवेदनशील क्षेत्रों में हो रहा सर्वे

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल जिले में मीरगंज के गांव देवसास, कुआडांडा के गांव बंजरिया, बिथरी चैनपुर का नत्थु रम्पुरा गांव और शहर का जगतपुर क्षेत्र संवेदनशील घोषित किया था। ये क्षेत्र पांच साल तक संवेदनशील रहेंगे। इस बार इनके साथ ही मझगवां के कांधरपुर, दलेल नगर का भउआ बाजार, फरीदपुर का भगवानपुर फुलुवा और शहर का कटघर इलाका भी जोड़ दिया गया है। इन आठ क्षेत्रों में नाइट ब्लड सर्वे हो रहा है।

पांच सौ ब्लड सैंपल कर रहे एकत्र

मलेरिया विभाग की टीम रात में गांवों में ब्लड सैंपल लेने के लिए सर्वे कर रही है। रात में सैंपल लेने की वजह यह है कि बीमारी का कीटाणु रात में ही पेरीफेरल (बाहरी) ब्लड में आता है। हर गांव से करीब पांच सौ लोगों का ब्लड सैंपल टीम को जुटाना है। इस तरह आठ क्षेत्रों से चार हजार सैंपल लेने हैं। इनकी जांच लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में होगी।

फरवरी में चलेगा दवा खिलाने का अभियान

फाइलेरिया से रोकथाम के लिए फरवरी के दूसरे हफ्ते में लोगों को एलबंडाजोल और डीईसी की दवा खिलाई जाएगी।

क्या है फाइलेरिया

फाइलेरिया मच्छर से फैलने वाला एक रोग है। इसका मच्छर गंदे पानी में पैदा होता है। इस बीमारी को सील पांव या हाथी पांव भी कहते हैं। इस बीमारी का लक्षण पांच से छह वर्ष के बाद दिखाई देता है। इस बीमारी में शरीर के किसी भी अंग में सूजन और सफेदी आ सकती है।

वर्जन

- फाइलेरिया के केस पता लगाने के लिए जिले में नाइट ब्लड सर्वे चल रहा है। इसमें चयनित क्षेत्रों से ब्लड सैंपल लिए जा रहे हैं। उनकी जांच होगी। अगले महीने दवा खिलाने का अभियान चलेगा।

डॉ। विनीत शुक्ल, सीएमओ