RANCHI : झारखंड सरकार के फिल्म पॉलिसी के तहत सब्सिडी लेने के लिए फिल्म निर्माण कंपनियों को स्थानीय कलाकारों को अपनी फिल्मों में काम देना अनिवार्य है, लेकिन वे इसका नाजायज फायदा उठा रहे हैं। सरकार द्वारा स्थानीय कलाकारों की परिभाषा या मापदंड निर्धारित नहीं होने के कारण फिल्म निर्माण कंपनियां किसी भी बहुरुपिए को स्थानीय कलाकार बना फिल्म सब्सिडी का फायदा उठा रही है। इन खुलासों के बाद अब स्थानीय आर्टिस्ट, जूनियर कलाकारों और सहयोगियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं

आईडी का फर्जी इस्तेमाल

फिल्म निर्माण कंपनियों में कोई भी कलाकार झारखंड में रहने का आईडी दिखाकर रोल हासिल कर सकता है। लेकिन, ये कंपनियां भी इन कलाकारों को छोटे-मोटे रोल देकर झारखंड फिल्म पॉलिसी के तहत मिलने वाली सब्सिडी की डिमांड कर रही है। ऐसे में यह जांच का विषय है कि सब्सिडी लेने वाली फिल्मों में वास्तविक स्थानीय कलाकारों को रोल दिया गया अथवा बहुरुपिए कलाकार को। मालूम हो कि फिल्म पॉलिसी के के तहत सब्सिडी पाने के लिए कम से कम छह स्थानीय कलाकारों का फिल्म में प्रमुख भूमिका में होना अनिवार्य है।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का अभाव

स्टेट में विगत कई सालों से कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन की कोई प्रक्रिया है ही नहीं। बिना किसी अनुभव और योग्यता के मापदंड की जांच किए बिना किसी को भी केवल आधार कार्ड दिखाकर कलाकार घोषित करने को लेकर अव विवाद खड़े होने लगे हैं। फिल्म विकास तकनीकी सलाहकार समिति के लोगों का भी कहना है कि कलाकारों का रजिस्ट्रेशन और न्यूनतम भत्ता जरुर निश्चित होना चाहिए।

झारखंड में 100 फिल्मों को शूटिंग की परमिशन

कमिटी के समक्ष करीब 100 फिल्मों का प्रस्ताव रखा गया, जिन्हें स्टेट में शूटिंग की अनुमति दी गई है। इसके अलावा सब्सिडी की लाइन में लगी 12 रिलीज हो चुकी फिल्मों में 4 को सब्सिडी दे दी गई है, जबकि 8 फिल्में अभी पाइपलाइन में हैं।

किस फिल्म को कितनी सब्सिडी

फिल्म सब्सिडी

बेगम जान(विद्या बालन) 2 करोड़ रुपए

डेथ इन द गंज(कोंकणा सेन) 1.40 करोड़ रुपए

अजब सिंह की गजब कहानी एक करोड़ रुपए

रांची डायरीज(अनुपम खेर) 1.70 करोड़ रुपए

ये हैं फिल्म कमिटी के 12 मेंबर्स

कमिटी के अध्यक्ष अनुपम खेर, आरपी मिश्रा, अजय मलकानी, स्टेफी टेरेसा मुर्मू, हरि मित्तल, रमेश हांसदा, अमिताभ घोष, नेहा तिवारी, मुंकुंद नायक, प्रो। रतन प्रकाश, पायल कश्यप, निदेशक इम्तियाज अली। इन 12 सदस्यीय टीम में करीब 8 लोग ही एक्टिव हैं, जबकि अन्य 4 लोगों ने धीरे-धीरे खुद को किनारे करना शुरू कर दिया है।