- आईआरएस अफसर श्वेताभ सुमन पर लगाया कोर्ट ने अर्थदंड, न्यायिक प्रक्रिया के दुरूपयोग का आरोप

- दो सप्ताह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा अर्थदंड

NAINITAL: हाईकोर्ट ने गुवाहाटी (असोम) में तैनात भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी श्वेताभ सुमन पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है। साथ ही उनका प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि अर्थदंड की रकम दो सप्ताह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करनी होगी। उन पर अदालती प्रक्रिया का दुरूपयोग करने का आरोप है।

कानूनी प्रक्रिया का किया दुरूपयोग

देहरादून में तैनाती के दौरान दो अगस्त 2005 को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में आईआरएस श्वेताभ सुमन के खिलाफ विशेष न्यायाधीश सीबीआई की देहरादून कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इस पर कोर्ट ने सुमन को समन जारी किया। 2010 में सुमन ने समन आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। याचिका में सुमन का कहना था कि किसी भी सरकारी कर्मचारी-अधिकारी पर अभियोजन के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा-197 के तहत सक्षम सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य है। यह भी कहा था कि तत्कालीन वित्त मंत्री ने स्वीकृति पर आपत्तियां दर्ज की हैं, इसलिए अभियोजन को वैध स्वीकृति नहीं माना जा सकता। चार अप्रैल 2011 को हाईकोर्ट ने कहा कि वित्त मंत्री स्वीकृति देने को सक्षम हैं, इसलिए उनके द्वारा दी गई स्वीकृति वैध मानी जाएगी। कोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी। सुमन ने फिर से सीबीआई की विशेष अदालत में प्रार्थना दाखिल किया। 19 नवंबर 2016 को विशेष अदालत ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। इसके खिलाफ सुमन फिर से नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट ने प्रार्थना पत्र को न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग मानते हुए खारिज कर दिया। बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की विशेष पीठ ने प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए उन पर एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया। साथ ही कहा कि अभियोजन की स्वीकृति को पहले ही अदालत वैध ठहरा चुकी है, लिहाजा याचिकाकर्ता बार-बार इस मामले को लेकर अभियोजन में हस्तक्षेप का प्रयास कर रहा है, जो कि कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है। इसके लिए याची पर जुर्माना लगाया जाना जरूरी हो गया है।