एलयू में चल रहे रैगिंग के आरोप के मामले को अब यूनिवर्सिटी प्रशासन जांच के नाम पर दबाने में जुटा है। यूनिवर्सिटी ने पहले एक कमेटी से जांच कराई, उसके बाद कमेटी ने रिपोर्ट की जगह एंटी रैगिंग सेल से जांच कराने की सिफारिश कर दी। एंटी रैगिंग सेल को इसकी जांच सौंपी गई जिसकी रिपोर्ट सोमवार को आने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को निर्णय लेना था। लेकिन सोमवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन मामले को टाल गया। सोमवार को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वीसी प्रो। एसपी सिंह को सौंप दी। फिलहाल सभी आरोपी स्टूडेंट्स ने जांच कमेटी को खुद लिखित दिया है कि उनके साथ रैगिंग जैसी घटना नहीं हुई। ऐसे में इन पर यूनिवर्सिटी की छवि धूमिल करने के लिए फाइन लगाने की संस्तुति की गई।

चार फरवरी को दो छात्र गुटों में हुई थी लड़ाई

चार फरवरी की शाम को यूनिवर्सिटी में क्रिकेट मैच को लेकर न्यू कैंपस में दो गुटों के बीच टकराव हुआ था। इसमें एक पक्ष ने रैगिंग का आरोप लगाया था। इसके दूसरे ही दिन दूसरे पक्ष की कुछ छात्राओं ने छेड़खानी की शिकायत की थी।

 

लगाया गया फाइनल

फिलहाल यूनिवर्सिटी प्रशासन बेवजह रैगिंग की शिकायत कर छवि धूमिल करने वालों पर सख्त है। उसने जूनियर छात्रों अरुण चतुर्वेदी, मयंक सिंह, शशांक सिंह, अंकित सिंह, विश्वास कुमार, विशाल पांडेय, रमनदीप सिंह, सिद्धांत विशू बिसेन, ओमेंद्र, सत्यदेव, महेंद्र प्रताप, मनीष गौतम, सौरभ सिंह व सौरभ मौर्या पर फाइन लगाने के आदेश दिए हैं।


अभी जारी रहेगा निलंबन

फिलहाल जूनियर छात्रों के साथ-साथ सीनियर छात्रों को भी मारपीट करने के मामले में निलंबित किया जा चुका है। सीनियर छात्रों का निलंबन अभी जारी रहेगा।

 

नहीं हुई रैगिंग की पुष्टि

जांच कमेटी को सीसीटीवी फुटेज व वीडियो से भी रैगिंग के प्रमाण नहीं मिले। ऐसे में स्टूडेंट्स खुद बैकफुट पर आ गए और आखिरकार कई छात्रों ने रैगिंग नहीं हुई इसे स्वीकार कर लिया।

 

रिपोर्ट वीसी को सौंप दी गई है, इस पर क्या कार्रवाई की जाएगी यह निर्णय वीसी लेंगे। शुरुआती कार्रवाई प्रॉक्टर की ओर से कर दी गई है।

प्रो। एनके पांडेय, प्रवक्ता