इस स्मार्टफोन में कई ऐसी तकनीकें है जिससे फिंगर प्रिंट पहचानने के लिए इसके सेंसर की रोशनी स्क्रीन के पार आ सकती है। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी सोनी ने अब तक इसे बाजार में लाए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

इस तकनीक के पेटेंट के लिए सोनी ने यूएस पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस में आवेदन दिया है, जिसके बारे में अनवायर्ड व्यू वेबसाइट ने छापा है। हालांकि ये पहली बार नहीं है कि जब किसी फोन में फिंगर प्रिंट सुरक्षा की सहूलियत दी जा रही हो। पिछले साल मोटोरोला एटरिक्स नाम का एक मोबाइल बाजार में लाई थी जिसके पीछे बायोमेट्रिक फिंगर प्रिंट स्कैनर लगा था।

स्क्रीन में ही कैमरा

सोनी का दावा है कि फिंगर प्रिंट सेंसर आगे स्क्रीन पर होने से सहूलियत होगी। पेटेंट दस्तावेज के अनुसार, “लोग जो इस तकनीक के बारे में कुछ नहीं जानते वो भी इसका प्रयोग आसानी से कर सकेंगे.”

विज्ञान और तकनीक के कई विश्लेषकों इस बात की संभावना जता रहे है कि ‘नियर फील्ड कम्युनिकेशन’ तकनीक वाले ये मोबाइल आने वाले समय में बाजार में खरीददारी के लिए क्रेडिट कार्ड की जगह ले लेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि लोग इस तरह की फिंगर प्रिंट तकनीक को क्रेडिट कार्ड के चार अंकों वाले खुफिया पिन से ज्यादा सुरक्षित मानेंगे।

गार्टनर के शोध निदेशक ब्रायन ब्लॉ ने बीबीसी से कहा, “तकनीक निर्माताओं और व्यवसायियों की प्राथमिकता है कि वो खरीददारी के लिए पैसे लेने-देने की प्रक्रिया को और आसान बनाए.”

सोनी के पेटेंट आवेदन में दी गई जानकारी से पता चलता है कि स्क्रीन के पीछे कैमरा सेंसर लगे होने की वजह से ये वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी उपयोगी साबित होगा।

‘बेहतर वीडियो कॉल’

पेटेंट आवेदन के अनुसार ऐसे मोबाइल फोन के लिए ये भी जरूरी नहीं है कि कैमरे के लिए फोन के ऊपरी भाग में कैमरे के लिए जगह छोड़ी जाए, क्योंकि कैमरा स्क्रीन के अंदर ही होगा। इसलिए स्क्रीन का आकार भी बड़ा किया जा सकता है, वो भी फोन के आकार को छेड़े बिना।

सोनी और दूसरी कंपनियां इस बात की भी कोशिश कर रही है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रयोगकर्ता एक दूसरे को सीधे नजरे मिलाकर देख पाए।

मोबाइल का कैमरा किनारे में होने के कारण आम तौर पर सक्रीन पर दिख रहे व्यक्ति की तस्वीर या वीडियो तिरछा देखते हुए आती है। हालांकि इस समस्या का हल खोजने वालों में सोनी अकेला नहीं है।

अमरीकी कंपनी एपल चार साल पहले ही एक ऐसे कंप्यूटर का पेटेंट करा चुकी है जिसके स्क्रीन में ही कैमरा होता है ताकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एकदम असली बातचीत का मजा दे। हालांकि एपल ने इस तकनीक का प्रयोग अपने उत्पादों में शुरू नहीं किया है।

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