शशांक शेखर सिंह व नवनीत सहगल पर धमकी देने का आरोप

Lucknow: ताज कॉरीडोर मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाली अनुपमा सिंह ने शशांक शेखर और नसीमुद्दीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने शनिवार को यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी कि उन्हें पूर्व कैबिनेट सेके्रटरी शशांक शेखर सिंह, पूर्व सचिव मुख्यमंत्री नवनीत सहगल, एमिटी यूनिवर्सिटी के संस्थापक अशोक चौहान व पूर्व विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया मुकदमा वापस लेने और वकील बदलने को लेकर धमकी दे रहे हैं.
हजरतगंज पुलिस ने उनकी तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर ली है। गोमतीनगर के विश्वासखंड निवासी अनुपमा सिंह ने बताया कि 2009 में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ताज कॉरीडोर के निर्माण में हुए 175 करोड़ रुपये के घोटाले के संबंध पूर्व सीएम मायावती व नसीमुद्दीन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी।
शुरू हुआ उत्पीडऩ
अनुपमा के मुताबिक, याचिका दायर करते ही शासन स्तर से उनका उत्पीडऩ शुरू हो गया। वह सात सालों से स्प्रिंग डेल कॉलेज में लाइब्रेरियन के पद पर काम कर रहीं थीं, लेकिन कॉलेज एडमिनिस्टे्रशन पर प्रेशर बनाकर उन्हें नौकरी से निकलवा दिया गया। अनुपमा ने बताया कि जब उन्होंने कॉलेज की डायरेक्टर कृष्णा सूद से नौकरी से निकाले जाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि कैबिनेट सेक्रेटरी शशांक शेखर सिंह के प्रेशर की वजह से उन्हे नौकरी से निकाला जा रहा है.
इसके बाद उनके पति अनुज कुमार के अमीनाबाद स्थित मेडिसिन शॉप कुमार फार्मा व उनके घर पर ड्रग इंस्पेक्टर केपी गुप्ता से नकली दवा बेचने के आरोप लगाकर कई बार छापा डलवाया गया। हालांकि इस छापेमारी में दोनों ही जगहों से कोई नकली दवा नहीं मिली.
ड्रग इंस्पेक्टर केपी गुप्ता को इस वजह से बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि उन्होंने उनके यहां नकली दवा बरामद होने की रिपोर्ट नहीं लगाई। इसके अलावा दबाव बनाने के लिए उनके मकान पर कई बार हमला कर उन पर दबाव बनाने की भी कोशिश की गई। जब उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस व एडमिनिस्ट्रेशन के ऑफिसर्स से की तो भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उत्पीडऩ से परेशान पति व ससुर हुए बीमार
लगातार किये जा रहे उत्पीडऩ से परेशान अनुपमा के पति अनुज कुमार सिंह को दो बार हार्ट अटैक पड़ा। जिसके बाद उनका इलाज दिल्ली स्थित अपोलो हॉस्पिटल में कराना पड़ा। जबकि उनके ससुर आदित्य कुमार भी बुरी तरह बीमार हो गये। जिनका इलाज गोमतीनगर स्थित एक निजी हॉस्पिटल में कराना पड़ा.
अनुपमा ने बताया कि महंगे इलाज के कारण उनकी फायनेंशियल कंडीशन भी खराब हो गई। जिसके बाद उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी में लाइबे्ररियन की पोस्ट पर ज्वाइन कर लिया.
वकील नियुक्त करते ही दबाव बढ़ा
अनुपमा ने बताया कि उन्होंने अप्रैल माह में अपने केस का वकील एनआरएचएम व सीएमओ मर्डर केस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले पिं्रस लेनिन को नियुक्त किया। जिसके बाद उन पर वकील बदलने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। अनुपमा ने बताया कि 16 मई को इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस की पहली सुनवाई थी.
उसी दिन एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैम्पस के डायरेक्टर मेजर जनरल केके ओहरी ने उन्हें बुलाया और पूछा कि उनके केस में वकील प्रिंस लेनिन खड़े हो रहे हैं। अनुपमा ने जब जवाब हां में दिया तो उन्होंने यूनिवर्सिटी के फाउंडर अशोक चौहान से फोन पर बात कराई। इस दौरान अशोक चौहान ने उनसे कहा कि अपना वकील वापस ले लो और हमारा बताया हुआ वकील नियुक्त कर लो.
इसी बीच शाम को मेजर जनरल ओहरी ने उन्हें नौकरी से निकाले जाने का लेटर थमाते हुए फिर से अशोक चौहान से बात कराई। फिर से चौहान ने कहा कि अगर वह आगे केस को परश्यू नहीं करेंगी तो उन्हें फिर से नौकरी पर रख लिया जायेगा।
घर पर हमला, फोन पर मिली धमकी
पुलिस को दी तहरीर में अनुपमा ने आरोप लगाया कि गोण्डा की कर्नलगंज सीट से पूर्व विधायक अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भइया ने अपने 40-50 लोगों के साथ 22 मार्च व 11 अप्रैल को उनके घर पर हमला किया व मुकदमा वापस न लेने पर उन्हें व उनकी फै मिली मेंबर्स को जान से मारने की धमकी दी.
उनके 15 साल के बेटे को भी दो बार एक्सीडेंट कर मारने की कोशिश की गई। इसके अलावा उनके मोबाइल पर अननोन नंबर्स से कई बार शशांक शेखर व नवनीत सहगल का नाम लेते हुए धमकी दी गई कि वह इस मुकदमे को वापस ले लें। उनकी इस तहरीर पर हजरतगंज पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। एएसपी पूर्वी राजेश कुमार ने बताया कि घटनास्थल गोमतीनगर एरिया में होने के कारण इन्क्वायरी के लिए एफआईआर को गोमतीनगर पुलिस के सुपुर्द किया जा रहा है।