ख़बरों के मुताबिक सीबीआई ने कुमार मंगलम बिरला की जिन दो कंपनियों के ख़िलाफ़ नया मामला दर्ज किया है, उनमें हिंडाल्को और आदित्य बिरला ग्रुप शामिल हैं.
इसके अलावा अज्ञात लोगों और अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की गई है.
ये मामले ओडिशा के झासुकुडा ज़िले के तालाबीरा द्वितीय के कोल ब्लॉक आवंटन में दर्ज किए गए हैं.
इन सभी पर आपराधिक साजिश रचने के लिए सेक्शन 120बी आईपीसी और सेक्शन 13 पीसी के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
जिंदल पर पहले ही एफ़आईआर
इससे पहले सीबीआई कोल ब्लॉक आवंटन मामले में कांग्रेस के सांसद नवीन जिंदल की कंपनी समेत चार कपनियों के ख़िलाफ़ भी मामले दर्ज कर चुकी है.
इन कंपनियों में जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड, गगन स्पांज और दो अन्य कंपनियां शामिल हैं.
भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से मांग करती रही है कि सीबीआई को इस बात का पता लगाना चाहिए कि इस मामले में किसने किसको पैसा दिया, कहाँ दिया और कितना दिया.
उसने इस मामले में सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था. पार्टी का कहना था कि इस घोटाले के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं, क्योंकि जिस समय का यह मामला है उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास था.
बीजेपी नेता प्रकाश जावड़ेकर ने मांग की थी कि 2006 से 2009 के बीच आवंटित की गई हर कोयला खदान की जांच की जाए.
1.86 लाख करोड़ रुपए का घोटाला
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोयला घोटाला एक लाख 86 हज़ार करोड़ रुपए का अनुमानित घोटाला है.
कैग ने कहा था कि निजी कंपनियों को कोयले की खानें मिलने से सरकार को 1.86 लाख करोड़ का नुक़सान हुआ. इन कंपिनयों को कोयला की खाने बिना कोई बोली लगाए दी गई थीं.
विश्लेषकों का कहना था कि अगर इन कोयला खानों की नीलामी की गई होती तो सरकार को इतना घाटा नहीं उठाना पड़ा होता.
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक एसार पावर, हिंडाल्को, टाटा स्टील, टाटा पावर, जिंदल स्टील एंड पावर सहित 25 कंपनियों को विभिन्न राज्यों में कोयले की खानें दी गईं.
कैग की यह रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी.
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